हैदराबाद, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। मुस्लिमों संगठनों के एक समूह ‘युनाइटेड मुस्लिम एक्शन कमेटी’ ने बुधवार को तेलंगाना सरकार से मांग की कि वह कथित पुलिस मुठभेड़ में पांच विचाराधीन कैदियों के मारे जाने के मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराए।
कमेटी ने कथित मुठभेड़ को ‘सोची-समझी हत्या’ बताया है। उसने मामले की जांच सीबीआई या उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश से कराने की मांग को लेकर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव और राज्यपाल ई.एस.एल. नरसिम्हन से मिलने का फैसला किया है।
कमेटी ने मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) के मुख्यालय दारुस्सलेम में बैठक बुलाई।
कमेटी के प्रमुख अब्दुल रहीम कुरैशी ने संवाददाताओं को बताया कि उन्होंने पिछले सप्ताह आंध्र प्रदेश के नलगोंडा जिले में आतंकवादियों द्वारा चार पुलिसकर्मियों के मारे जाने और पुलिस द्वारा पांच विचाराधीन कैदियों व 20 लकड़हारों को मारे जाने की निंदा की है।
कमेटी ने कहा कि उसे पुलिस जांच में यकीन नहीं है, इसलिए मामले की जांच स्वतंत्र रूप से कराने की जरूरत है।
पुलिस का दावा है कि उन विचाराधीन कैदियों ने पुलिस से हथियार छीने थे। युनाइटेड मुस्लिम एक्शन कमेटी ने पुलिस के इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि कैदियों को हथकड़ी लगी थी और वे पुलिस के वाहन में जंजीरों से बंधे थे, ऐसे में वे हथियार छीनने की स्थिति में कतई नहीं थे।
एमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी चाहते हैं कि तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सरकार इस मुठभेड़ पर अपना पक्ष रखे।
ओवैसी हैदराबाद से सांसद हैं। उनकी पार्टी टीआरएस की सहयोगी है। उन्होंने कहा, “हम देखेंगे कि सरकार की क्या प्रतिक्रिया होगी।”
उन्होंने कहा, “हम सच को सामने लाना चाहते हैं। अगर आप इन न्यायेतर हत्याओं की इजाजत देते हैं, तो इससे हमारे समाज में अराजकता और अशांति जन्म लेगी।”