लखनऊ, 4 अप्रैल (आईएएनएस/आईपीएन)। लखनऊ के किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) समेत सूबे के 200 से अधिक आथोर्पेडिक सर्जन घुटने एवं कंधे के इलाज की आधुनिक तरीकों को जानने के लिए जुटे। इसके लिए केजीएमयू के आथोर्पेडिक विभाग एवं भारतीय आथोर्पेडिक सोसाइटी द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन केजीएमयू के कुलपति प्रो.रविकांत ने किया।
लखनऊ, 4 अप्रैल (आईएएनएस/आईपीएन)। लखनऊ के किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) समेत सूबे के 200 से अधिक आथोर्पेडिक सर्जन घुटने एवं कंधे के इलाज की आधुनिक तरीकों को जानने के लिए जुटे। इसके लिए केजीएमयू के आथोर्पेडिक विभाग एवं भारतीय आथोर्पेडिक सोसाइटी द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन केजीएमयू के कुलपति प्रो.रविकांत ने किया।
कार्यशाला में के.ई.एम. हास्पिटल मुंबई के डा. रोशन वाडे और मौलाना आजाद मेडिकल कालेज नई दिल्ली के प्रो. डा. विनोद कुमार ने दूरबीन विधि द्वारा घुटने एवं कंधे की लाइव सर्जरी करके अन्य सर्जनों को दिखाया। इसका सीधा प्रसारण भी प्रोजेक्टर पर किया गया। इसके अलावा घुटने एवं कंधों के मॉडल पर दूरबीन विधि से आपरेशन करना विभाग के साइकोमीटर स्किल लैब में सिखाया गया।
कंधे बार-बार उतर रहे हों तो बरतंे सावधानी-
केजीएमयू के आथोर्पेडिक विभाग के एसोसिएट प्रो. डा.शान्तुन ने बताया कि यदि कंधा उतर गया है तो उसे स्वयं बैठाने का प्रयास न करें। उसे योग्य चिकित्सक की देखरेख में बैठायें। इसके अलावा कंधे के बैठ जाने के बाद छह महीने तक सावधानी बरतनी चाहिए और उस हाथ से कोई भी वजनदार सामान न उठायें अन्यथा जोखिम उठाना पड़ सकता है।
डा. शान्तुन ने बताया कि अगर कंधा बार-बार उतरने लगा तो जरा सा भी वजन उठाने पर भी वह उखड़ सकता है। डा. शान्तुन ने बताया कि खेल के दौरान गलत ढंग से पैर पड़ने और दुर्घटना के शिकार अधिकांश युवा घुटने की समस्या से ग्रसित होकर आ रहे हैं।
केजीएमयू की आथोर्पेडिक विभाग में हर महीने लगभग 40 व्यक्ति घुटने का इलाज कराने आ रहे हैं। इनमें से अधिकांश युवा हैं। युवाओं में अधिकतर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र होते हैं।