रायपुर, 23 मार्च (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के ग्राम झालम में गौ-अभयारण्य की स्थापना की जाएगी। धमतरी और रायपुर में एग्रोमाल की स्थापना होगी। कामधेनु विश्वविद्यालय के अंतर्गत दुग्ध विज्ञान और प्रौद्योगिकी महाविद्यालयों में सीटों की संख्या बढ़ाकर 60 की जाएगी।
रायपुर, 23 मार्च (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के ग्राम झालम में गौ-अभयारण्य की स्थापना की जाएगी। धमतरी और रायपुर में एग्रोमाल की स्थापना होगी। कामधेनु विश्वविद्यालय के अंतर्गत दुग्ध विज्ञान और प्रौद्योगिकी महाविद्यालयों में सीटों की संख्या बढ़ाकर 60 की जाएगी।
बिलासपुर में नए पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय खोला जाएगा। महासमुंद, जगदलपुर और सूरजपुर में तीन वेटनरी पॉलीटेक्निक आगामी शिक्षा सत्र से शुरू किए जाएंगे। कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सोमवार को अपने विभागों से संबंधित अनुदान मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह घोषणा की।
अग्रवाल ने कहा कि पिछले दस वर्षो में छत्तीसगढ़ में कृषि विकास दर में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। छत्तीसगढ़ में यह दर 5.8 प्रतिशत अनुमानित है। धान, मक्का और चने के उत्पादन में ऐतिहासिक वृद्घि दर्ज की गई है। धान की उत्पादकता दो हजार 180 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़कर तीन हजार 146 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है। धान की उत्पादकता में 45 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने कहा कि पिछले चार साल में तीन बार छत्तीसगढ़ को कृषि कर्मण पुरस्कार से नवाजा गया है। चर्चा के बाद नए वित्तीय वर्ष 2015-16 में कृषि, पशुपालन, मछलीपालन, जल संसाधन, आयाकट विभाग, धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग की बजट अनुदान मांगों को विधानसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। चर्चा में 19 विधायकों ने हिस्सा लिया और अपने सुझाव दिए।
कृषि मंत्री ने बताया कि आगामी तीन साल में साढ़े नौ लाख किसानों को उनकी जमीनों का स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराए जाएंगे। इस कार्ड में खेती की जमीनों के प्रकार, उनकी गुणवत्ता तथा उपयुक्त फसलों के संबंध में सलाह भी किसानों को दी जाएगी। अगले साल 180 नए कृषि सेवा केन्द्र खोले जाएंगे। जैविक खेती को प्रदेश सरकार बढ़ावा देगी। बलौदाबाजार, गरियाबंद, महामसुंद, कबीरधाम, कोण्डागांव, दंतेवाड़ा, मुंगेली व सूरजपुर में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी।
अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में उद्यानिकी फसलों के रकबे में पिछले दस साल में पांच लाख 69 हजार हेक्टेयर की वृद्घि हुई है। उद्यानिकी को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश को तीन हिस्सों में बांटकर विशेष कार्ययोजना बनाई गई है। उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र (अंबिकापुर) में आलू, लीची, नासपत्ती, एस्ट्राबेरी और टमाटर, बस्तर के पठारी क्षेत्र में काजू, नारियल, कालीमिर्च, तेजपत्ता और दालचीनी जैसी मसाला फसल और मैदानी क्षेत्रों में केला, अमरूद तथा आम के साथ-साथ अन्य प्रकार की सब्जियों की खेती को विशेष तौर पर प्रोत्साहन देने की योजना है।