नई दिल्ली, 21 मार्च (आईएएनएस)। कॉरपोरेट जासूसी मामले में दो मुख्य आरोपियों को राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने एक अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एस.सी.राजन से कहा कि चार्टर अकाउंटैंट खेमचंद गांधी तथा परेश चिमनलाल की हिरासत की अब जरूरत नहीं है, जिसके बाद अदालत ने दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
सीबीआई ने अदालत से कहा कि उसकी जांच जारी है और इस बड़ी साजिश के पर्दाफाश के लिए कई लोगों से पूछताछ की जरूरत है।
विभिन्न मंत्रालयों से गोपनीय सरकारी दस्तावेजों की चोरी करने तथा उन्हें बेचने के मामले में दोनों ने अदालत के समक्ष पेश किया गया था।
अदालत ने 19 मार्च को चार सरकारी कर्मचारियों अशोक कुमार सिंह, लाला राम शर्मा, दलजीत सिंह तथा राम निवास को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
इस मामले में फरार चल रहे औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) में उच्च श्रेणी लिपिक दलजीत सिंह को यहां उसके ठिकाने से सोमवार को गिरफ्तार किया गया था।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि दलजीत गोपनीय दस्तावेजों को वित्त मंत्रालय के अपने समकक्षों को उपलब्ध करा रहा था, जो बाद में उसे मुंबई के एक चार्टर्ड अकाउंडटेंट को दे देता था।
उल्लेखनीय है कि 12 मार्च को सीबीआई ने एक मामला दर्ज कर आठ जगहों पर छापेमारी की थी। इस दौरान विभिन्न मंत्रालय के कार्यालयों, नई दिल्ली तथा मुंबई के निजी प्रतिष्ठानों पर छापेमारी के बाद विनिवेश तथा शिकायत विभाग के उपसचिव अशोक कुमार सिंह तथा आर्थिक मामलों के विभाग के सेक्शन ऑफिसर लाला राम शर्मा को गिरफ्तार किया गया था।
सीबीआई ने छापेमारी के दौरान चार्टर अकाउंटैंट खेमचंद गांधी को मुंबई से गिरफ्तार किया था।
जांचकर्ताओं ने कहा कि दलजीत वाणिज्य मंत्रालय के दस्तावेजों को अशोक कुमार और लाला राम शर्मा को देता था, जो बाद में उसे खेमचंद गांधी को दे देते थे।