नई दिल्ली, 21 मार्च (आईएएनएस)। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में संभावित वृद्धि से जुड़ी अनिश्चितताओं के बावजूद 20 मार्च को समाप्त हुए सप्ताह में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयर बाजारों में निवेश किया। इस दौरान एफपीआई ने 1,952.36 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और 1,159.96 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
एफपीआई संसद सत्र में मुख्य विधेयकों के पारित होने, फरवरी माह में खुदरा महंगाई दर में मामूली बढ़ोतरी से जुड़ी चिंताओं और जनवरी-मार्च तिमाही में कंपनियों के संभावित नतीजों जैसे अन्य समस्याओं के बावजूद भारतीय बाजारों में निवेश करेंगे।
हालांकि, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने नरम रुख अपनाते हुए कहा कि ब्याज दरों में वृद्धि साल के अंत में भी हो सकती है। इससे भारत जैसे बाजारों को बड़ी राहत मिली है।
अमेरिका में उच्च ब्याज दरों की वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) भारत जैसे उभरते बाजारों से दूर जा सकते हैं।
जाएफिन एडवाइजर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवेंद्र नेवगी ने आईएएनएस को बताया, “पेंशन फंड और सॉवरेन जैसे लंबी अवधि के एफपीआई भारतीय बाजार में लंबे समय से बने रहने के महत्व को समझ सकते हैं। विश्व में ऐसा कोई बाजार नहीं है, जहां एफपीआई को विकास और आर्थिक सुधार प्रक्रिया में ऐसे अवसर प्राप्त हों। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नरम रुख के बाद हेज फंड जैसे छोटी अवधि के निवेश भारतीय बाजारों को अधिक आकर्षक पाएंगे।”
नेवगी ने कहा, “जून 2013 में टेपरिंग की वजह से हुई अत्यधिक अस्थिरता के बाद से भारतीय बाजार ने एक लंबा रास्ता तय किया है। हमारे आर्थिक कारक बहुत सकारात्मक हैं, जिससे भविष्य में विकास होगा। यहां तक कि जून 2013 की तरह समान अस्थिरता की पुनरावृत्ति से बचने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक पूरी तरह से सक्रिय है।”
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी (एनएसडीएल) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 20 मार्च को समाप्त हुए सप्ताह में एफपीआई ने 31.246 करोड़ डॉलर यानी 1,952.36 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
हालांकि, इस समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी निवेशकों ने 18.482 करोड़ डॉलर यानी 1,159.96 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
पिछले 13 मार्च को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान एफपीआई ने 51.824 करोड़ डॉलर यानी 3,234.7 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। इसी समय उन्होंने 15.269 करोड़ डॉलर यानी 957.61 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
बाजार विनियमाक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के साथ उपखातों और योग्य विदेशी निवेशकों को मिला कर एफपीआई नाम से एक नई निवेशक श्रेणी बनाई थी।
जियोजिट बीएनपी पारिबास के उपाध्यक्ष गौरांग शाह ने कहा, “विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की ओर से शेयर बाजारों में निवेश का रुझान सकारात्मक रहेगा और भविष्य में भारत में निवेश की संभावना अधिक बेहतर होगी।”
शाह ने कहा, “दूसरी तरफ, हमने एक मामूली उछाल के बाद कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखी है। इससे घरेलू उत्पादन आंकड़ों में नकारात्मक प्रभाव में कमी आएगी।”
आगामी सप्ताह में फरवरी के खुदरा महंगाई आंकड़ों में मामूली बढ़ोतरी एफपीआई के लिए चिंताजनक होगी। इसकी वजह से अगले महीने आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं धुंधली होगी।
आरबीआई सात अप्रैल को 2015 की अपनी पहली द्वैमासिक नीतिगत समीक्षा बैठक करेगा।
कोटक सिक्योरिटीज में निजी ग्राहक समूह अनुसंधान के प्रमुख दीपेन शाह ने कहा, “एफपीआई को भारतीय कंपनियों के चौथी (जनवरी-मार्च) तिमाही के नतीजों का भी इंतेजार रहेगा। ऐसी संभावना है कि इस तिमाही के नतीजे कमजोर रहने वाले हैं।”
कोयला खनन (विशेष प्रावधान), खनन एं खनिज (विकास एवं विनियम) और विनियोग विधेयक 2015-16 जैसे कई प्रमुख विधेयकों के पारित होने पर एफपीआई नजर रखेगा।
संसद सत्र एक महीने लंबे अवकाश के बाद 20 अप्रैल को दोबारा शुरू होगा।
नेवगी के मुताबिक, एफपीआई पारित हो चुके विभिन्न विधेयकों के जमीन स्तर पर क्रियान्वयन पर नजर रखेगा।
20 मार्च को समाप्त हुए साप्ताहिक कारोबार के दौरान बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) 242.22 अंक यानी 0.84 प्रतिशत गिर कर 28,261.08 पर बंद हुआ। पिछले सप्ताह (13 मार्च) को समाप्त हुए अवधि के दौरान सेंसेक्स 28,503.30 पर बंद हुआ था।