वाशिंगटन, 21 मार्च (आईएएनएस)। अगर आप के आसपास के किशोर आपको नशे की ओर आकर्षित होते दिख रहे हैं तो उन्हें नशे से दूर रखने के लिए उन्हें दंडित करने के बजाय उनकी काउंसिलिंग करना ज्यादा प्रभावकारी होगा।
एक अध्ययन में पता चला है कि मरिजुआना के प्रयोग के कारण बच्चों को स्कूल से निलंबित करने की सजा देने से उनके सहपाठियों में धूम्रपान की आदत घटने के बजाय बढ़ने की संभावना ज्यादा होती है। जबकि परामर्श का किशोरों पर सही प्रभाव पड़ता है।
शोध के परिणामों के अनुसार, अवैध मादक पदार्थो पर प्रतिबंध की नीति वाले स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों में मादक पदार्थो के उपयोग की संभावना, ऐसी नीतियां न रखने वाले स्कूलों की तुलना में 1.6 फीसदी अधिक थी।
‘अमेरिकन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ’ में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, मरिजुआना के प्रयोग को रोकने में काउंसिलिंग ज्यादा प्रभावी थी।
युनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन में प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक रिचर्ड कैटेलानो ने बताया, “यह हमारे लिए आश्चर्य की बात थी।”
कैटेलानो ने कहा, “इसका मतलब है कि निलंबन का निवारक प्रभाव नहीं पड़ रहा। बल्कि इसका उलटा असर है।”
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन स्कूलों में धूम्रपान करने वाले छात्रों को परामर्शदाता के पास भेजे जाने की नीति थी, उनके छात्रों में मरिजुआना का प्रयोग लगभग 50 फीसदी कम था।
शोध में इंटरनेशनल यूथ डेवलपमेंट स्टडी के आंकड़े इस्तेमाल किए गए, जो 2002 में शुरू हुआ था, इसका लक्ष्य वाशिंगटन और विक्टोरिया में युवाओं के व्यवहार का परीक्षण करना था।
वाशिंगटन के स्कूलों में मादक पदार्थो का सेवन करते पाए जाने वाले छात्रों को अधिकतर निलंबित कर दिया जाता है या पुलिस को बुलाया जाता है, जबकि विक्टोरिया के स्कूल परामर्श की नीति के पक्षधर होते हैं।