मुंबई, 21 मार्च (आईएएनएस)। देश के शेयर बाजारों में पिछले सप्ताह प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में करीब एक फीसदी गिरावट दर्ज की गई।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स पिछले सप्ताह 0.85 फीसदी या 242.22 अंकों की गिरावट के साथ शुक्रवार को 28,261.08 पर बंद हुआ।
इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 0.89 फीसदी या 76.85 अंकों की गिरावट के साथ 8,570.90 पर बंद हुआ।
सेंसेक्स के 30 शेयरों में से पिछले सप्ताह 12 में तेजी रही। विप्रो (2.25 फीसदी), इंफोसिस (1.92 फीसदी), डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज (1.64 फीसदी), सन फार्मा (1.48 फीसदी) और एचडीएफसी बैंक (1.18 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही।
सेंसेक्स में गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे एनटीपीसी (8.81 फीसदी), हिंदुस्तान यूनिलीवर (4.73 फीसदी), भारती एयरटेल (4.51 फीसदी), महिंद्रा एंड महिंद्रा (4.40 फीसदी) और सेसा स्टरलाईट (3.73 फीसदी)।
गत सप्ताह मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में सेंसेक्स से अधिक गिरावट रही। मिडकैप 1.57 फीसदी या 169.6 अंकों की गिरावट के साथ 10,625.28 पर और स्मॉलकैप 3.12 फीसदी या 349.81 अंकों की गिरावट के साथ 10,859.75 पर बंद हुआ।
शुक्रवार को राज्यसभा में खदान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) संशोधन विधेयक-2015 पारित हो गया, जिसमें विभिन्न खनिजों के खदानों की नीलामी का प्रावधान है, ताकि खदानों के आवंटन में पारदर्शिता बढ़ाई जा सके। राज्यसभा में विधेयक में संशोधन किए जाने के कारण अब इस विधेयक पर दोबारा लोकसभा में विचार होगा, जिसने पहले ही इसके मूल रूप को पारित कर दिया है। इसके साथ ही बजट सत्र के पहले हिस्सा का समापन हो गया और अब एक महीने बाद दूसरा हिस्सा फिर से शुरू होगा।
सोमवार को जारी सरकारी आंकड़े के मुताबिक थोक महंगाई दर फरवरी 2015 में नकारात्मक 2.06 फीसदी रही, जो जनवरी में नकारात्मक 0.39 फीसदी थी। अप्रैल-फरवरी 2014-15 के लिए थोक महंगाई दर नकारात्मक 2.5 फीसदी रही, जो एक साल पहले समान अवधि में 5.53 फीसदी थी।
वैश्विक मोर्चे पर अमेरिका के फेडरल रिजर्व की नीति निर्मात्री समिति ने बुधवार 18 मार्च को अपनी दो दिवसीय बैठक के आखिर में नीतिगत दर बढ़ाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया हालांकि आर्थिक विकास की गति और महंगाई के पूर्वानुमान में कुछ कटौती की। बैंक ने अपने बयान में एक शब्द ‘धीरज’ को हटा दिया, जिससे निवेशकों ने यह निष्कर्ष निकाला कि बैंक किसी भी वक्त ब्याज दर बढ़ाने के लिए पहे से अधिक स्वतंत्र है।