नई दिल्ली, 20 मार्च (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी के 44 पुलिस थानों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले ऐसे अतिसंवेदनशील स्थान जहां पर महिलाओं के खिलाफ अपराध का ग्राफ अधिक है, वहां पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। यह जानकारी दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को दी।
न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.डी. अहमद और न्यायमूर्ति संजीव सचदेव की खंडपीठ ने अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (कानून शाखा) द्वारा दाखिल किए गए शपथपत्र को स्वीकार कर लिया और मामले की सुनवाई को 25 मार्च तक टाल दिया है।
शपथपत्र के मुताबिक, “पहले चरण में उन 44 पुलिस थानों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले अतिसंवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जिनकी पहचान अपराध का पता लगाने वाले अध्ययनों के आधार पर की गई है। वहीं इन पुलिस थानों में महिलाओं के खिलाफ भी अपराध बहुत अधिक होते हैं। वहीं बाकी के बचे इलाकों में यह काम बाद वाले चरणों में किया जाएगा।”
44 पुलिस थानों के अधिकार क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे स्थापित करने के लिए एक माह के समय की मांग करते हुए पुलिस ने कहा कि राजधानी में जिले के पुलिस उपायुक्तों को आदेश दिया गया है कि वे 20 मार्च 2015 तक अपने-अपने जिलों के लिए सीसीटीवी कैमरों की जरूरतों का प्रस्ताव भेजें।
पुलिस ने शपथपत्र में कहा, “सीसीटीवी कैमरे स्थापित करने की मांगों और इसके स्थान के संबंध में प्रस्ताव मिलने के बाद पेशेवर सरकारी एजेंसियों द्वारा उस स्थान का तकनीकी दृष्टि से सर्वेक्षण किया जाएगा। जैसे कि कैमरे का नाइट विजन, उसका रिजॉल्यूशन और उसकी पिक्शल शक्ति कैसी है। इसके चोरी की संभावनाएं कितनी हैं और जूमइन और जूमआउट की सुविधा है या नहीं।”
शपथपत्र के मुताबिक, सर्वेक्षण के बाद समेकित प्रस्ताव को सक्षम अधिकारी के पास अनुमति लेने के लिए गृहमंत्रालय के पास भेजा जाएगा, जिसमें एक माह से अधिक समय की आवश्यकता होगी।
उल्लेखनीय है कि जनवरी माह में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौरे पर सुरक्षा की दृष्टि से दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, जिस पर वकील मीरा भाटिया ने न्यायालय में याचिका दायर कर इन कैमरों को ओबामा के दौरे के बाद न हटाने के लिए कहा था। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने दिल्ली पुलिस से महिलाओं की सुरक्षा के लिए दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे स्थापित करने की कार्य योजना प्रस्तुत करने के लिए कहा था।
16 दिसंबर 2012 की सामूहिक दुष्कर्म की घटना का स्वत: संज्ञान लेने के बाद से राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा पर न्यायालय स्वयं निगरानी बनाए हुए हैं।