नई दिल्ली, 17 मार्च (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने कॉरपोरेट जासूसी कांड में मंगलवार को तीन सरकारी अधिकारियों तथा दो अन्य को दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष न्यायाधीश एस.सी.राजन ने तीनों सरकारी अधिकारियों-अशोक कुमार सिंह, लाला राम शर्मा तथा दलजीत सिंह- के साथ चार्टर अकाउंटैंट खेमचंद गांधी तथा निजी कंपनी चिताले एसोसिएट्स के साझेदार परेश चिमनलाल बुद्धदेव से 19 मार्च तक जांच एजेंसी को पूछताछ की इजाजात दे दी।
विभिन्न मंत्रालयों से गोपनीय सरकारी दस्तावेजों की चोरी कर उन्हें लीक करने तथा बेचने के आरोप में पांचों को अदालत के समक्ष पेश किया गया था।
सीबीआई ने सभी की हिरासत की मांग करते हुए कहा कि जांच के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों के संबंध में उन्हें आमने-सामने कर पूछताछ करने की जरूरत है।
इस मामले में फरार चल रहे औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) में उच्च श्रेणी लिपिक दलजीत सिंह को यहां उसके ठिकाने से सोमवार को गिरफ्तार किया गया था।
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि दलजीत गोपनीय दस्तावेजों को वित्त मंत्रालय के अपने समकक्षों को उपलब्ध करा रहा था, जो बाद में उसे मुंबई के एक चार्टर्ड अकाउंडटेंट को दे देता था।
उल्लेखनीय है कि 12 मार्च को सीबीआई ने एक मामला दर्ज कर आठ जगहों पर छापेमारी की थी। इस दौरान विभिन्न मंत्रालय के कार्यालयों, नई दिल्ली तथा मुंबई के निजी प्रतिष्ठानों पर छापेमारी के बाद विनिवेश तथा शिकायत विभाग के उपसचिव अशोक कुमार सिंह तथा आर्थिक मामलों के विभाग के सेक्शन ऑफिसर लाला राम शर्मा को गिरफ्तार किया गया था।
सीबीआई ने छापेमारी के दौरान चार्टर अकाउंटैंट खेमचंद गांधी को मुंबई से गिरफ्तार किया था।
जांचकर्ताओं ने कहा कि दलजीत वाणिज्य मंत्रालय के दस्तावेजों को अशोक कुमार और लाला राम शर्मा को देता था, जो बाद में उसे खेमचंद गांधी को दे देते थे।
सीबीआई ने 13 मार्च को दो और लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें वित्त मंत्रालय के अधीन विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) में सहायक राम निवास तथा दूसरा एक निजी कंपनी चिताले एसोसिएट्स का साझेदार परेश चिमनलाल बुद्धदेव था।
जांच एजेंसी ने इस मामले में बहुराष्ट्रीय कंपनी प्राइस वाटरहाउस कूपर्स (पीडब्ल्यूसी) की संलिप्तता का भी खुलासा किया है, जो कर व परामर्श सेवा प्रदान करती है, जिसकी जांच की जा रही है।
पीडब्ल्यूसी प्राइवेट लिमिटेड ने एक बयान में कहा, “हमारे ग्राहक द्वारा एफआईपीबी आवेदन दाखिल करने के सिलसिले में हमारे प्रबंधक ने सीबीआई अधिकारियों से मुलाकात की है। हमसे जो आवश्यक स्पष्टीकरण मांगा गया था, उसे उपलब्ध करा दिया गया है।”