लंदन, 16 मार्च (आईएएनएस)। अनुसंधानकर्ताओं ने डीजल इंजन से होने वाले प्रदूषण के कारण हमारे फेफड़ों को होने वाले नुकसान पर एक नया अध्ययन किया है।
इस अध्ययन में डीजल इंजन से होने वाले प्रदूषण और श्वांस संबंधी बीमारियों के बीच संबंधों की पहचान की गई।
लंदन के इंपीरियल कॉलेज के अनुसंधानकर्ता रायन रॉबिंसन ने कहा, “हमारे शोध के अनुसार जीवाश्म ईंधन, खासकर डीजल पर हमारी निर्भरता हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। हमें वैकल्पिक ईंधन पर ध्यान देना चाहिए।”
नगरीय क्षेत्र में होने वाले वायु प्रदूषण में डीजल इंजन से होने वाले प्रदूषण प्रमुख हैं, जिसमें गैसों के जटिल यौगिक मिले रहते हैं।
रॉबिंसन ने कहा, “अध्ययन में खुलासा हुआ है कि डीजल इंजन से होने वाले प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है। चूंकि डीजल इंजन से निकलने वाली हानिकारक गैसों के कण बेहद सूक्ष्म होते हैं, जो न सिर्फ आंखों से दिखाई नहीं देते, बल्कि हमारे फेफड़ों में बहुत अंदर तक चले जाते हैं।”
गौरतलब है कि हमारे फेफड़ों में संवेदी नसें होती हैं, जो संभावित हानिकारक तत्वों की पहचान कर लेती हैं और शरीर को उनके प्रति सचेत कर देती हैं, जैसे खांसी का आना।
रॉबिंसन ने कहा, “हमने गौर किया कि डीजल इंजन से निकलने वाली गैसों के कंणों से जैविक विधि से निष्कर्षित किए गए रसायन फेफड़े की इन संवेदी नसों को संवेदनशील कर देती हैं।”
रॉबिंसन ने अपना यह अध्ययन 13वें यूरोपीय रेस्पिरेटरी सोसाइटी लंग साइंस कान्फ्रेंस में प्रस्तुत किया।