Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 गांधीवादी नारायण देसाई का निधन, प्रधानमंत्री ने शोक जताया (राउंडअप) | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

Home » भारत » गांधीवादी नारायण देसाई का निधन, प्रधानमंत्री ने शोक जताया (राउंडअप)

गांधीवादी नारायण देसाई का निधन, प्रधानमंत्री ने शोक जताया (राउंडअप)

नई दिल्ली/वलसाड, 15 मार्च (आईएएनएस)। प्रख्यात गांधीवादी चिंतक और महात्मा गांधी परिवार के करीबी नारायण देसाई का रविवार सुबह गुजरात के वलसाड जिले के वेदछी गांव में निधन हो गया। गुजराती सहित कई भाषाओं में साहित्य सेवा और विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय रहे नारायणभाई 90 वर्ष के थे।

नारायण देसाई के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गांधीजनों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।

नारायणभाई के सबसे छोटे बेटे अफलातून देसाई ने आईएएनएस को फोन पर बताया कि उनके पिता की अंत्येष्टि रविवार अपराह्न् दो बजे उनके गांव से होकर बहने वाली वाल्मीकि नदी के तट पर की गई।

उन्होंने इस गांव में खुद के द्वारा स्थापित संपूर्ण क्रांति विद्यालय में तड़के चार बजे अंतिम सांस ली।

प्रसिद्ध गांधीकथा-वाचक को मुखाग्नि उनकी पुत्री डॉ. संघमित्रा ने दी। अंत्येष्टि में सैकड़ों की संख्या में परिजनों के अलावा गांधीवादियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इसमें गुजरात विद्यापीठ की कुलाधिपति इला भट्ट, कुलपति डॉ. अनामिक शाह, पूर्व कुलपति सुदर्शन आयंगार, साहित्यकार राजेंद्र पटेल व सर्वोदय नेता महेंद्र भट्ट विशेष तौर पर शामिल थे।

नारायणभाई को 75 से अधिक वर्षो के सामाजिक जीवन में महात्मा गांधी, विनोबा भावे और लोकनायक जयप्रकाश नारायण का निकट साहचर्य मिला था। कहना न होगा कि वह गांधी की गोद में पले-बढ़े थे। वह गुजरात विद्यापीठ के कुलाधिपति भी रहे।

चार माह पूर्व 10 दिसंबर को नारायणभाई को मस्तिष्काघात हुआ था और वह कोमा में चले गए थे। कोमा से निकले भी, मगर इधर कुछ दिनों से फिर अस्वस्थ हो गए थे।

उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक संवेदना व्यक्त की है। मोदी ने ट्विटर पर जारी शोक संदेश में कहा, “नारायण भाई देसाई एक ऐसे विद्वान के रूप में जाने जाएंगे, जिन्होंने गांधी को आम जनता के करीब लाया। उनके निधन की खबर सुनकर गहरा दुख हुआ।”

देसाई के निधन की खबर सुनकर राष्ट्रीय राजधानी के गांधीजन शोकाकुल हो गए। गांधीवादी संस्थाओं की ओर से रविवार शाम आयोजित शोकसभा में गांधीजनों ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

गांधी शांति प्रतिष्ठान, गांधी स्मारक निधि, और राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय की ओर से आयोजित शोक सभा में

नारायणभाई को गांधी परिवार और गांधी परंपरा की अमूल्य धरोहर बताया गया, जो अब स्मृतियों में बचे रह गए हैं।

वयोवृद्ध गांधीवादी रामचंद्र राही ने नारायणभाई को याद करते हुए कहा कि वह आजीवन गांधी विचार के लिए सक्रिय रहे और उसके लिए जीते रहे।

उन्होंने कहा, “1962-64 में अरुणाचल प्रदेश में शांति सेना का काम रहा हो, या भूदान आंदोलन, नारायण भाई हर समय आगे रहे।”

राही ने कहा कि 2002 के गुजरात दंगे के दौरान कुछ न कर पाने की व्यथा के कारण उनके भीतर से गांधी कथा निकली और देश-विदेश में गांधी कथा की 108 कड़ियां उन्होंने पूरी की।

राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय की अध्यक्ष, डॉ. अपर्णा बसु ने नारायण देसाई के निधन को गांधी परंपरा की एक अमूल्य कड़ी का टूट जाना बताया। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि नारायणभाई जैसे लोग मरते नहीं हैं, बल्कि अपने कार्यो से अमर हो जाते हैं।

विनोबा भावे द्वारा स्थापित संस्था खादी मिशन की ओर से भी संस्था परिसर में शोक सभा आयोजित की गई। सभा की अध्यक्षता खादी मिशन के अध्यक्ष व विनोबा भावे के सचिव रह चुके बाल विजय ने की।

वर्ष 2002 के गुजरात जनसंहार के प्रायश्चित स्वरूप नारायणभाई ने लोगों को सर्वधर्म समभाव का संदेश देने के लिए गांधीकथा-वाचन शुरू किया था। गांधी के जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों का वर्णन वह जिस अंदाज में किया करते थे, वह अद्वितीय था।

भूदान आंदोलन, संपूर्ण क्रांति आंदोलन जैसे कई राष्ट्रीय आंदोलनों में नारायण देसाई की सक्रिय भूमिका रही। दंगों के समय उन्होंने शांति सेना का नेतृत्व भी किया था।

उन्होंने गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी में साहित्य लेखन किया और आपातकाल के दौरान ‘तानाशाही’ के खिलाफ कई पत्रिकाओं के संपादन के लिए भी उन्हें याद किया जाएगा।

नारायणभाई ने कभी किसी स्कूल या कॉलेज का मुंह नहीं देखा, लेकिन वह अंग्रेजी, बंगला, उड़िया, मराठी, गुजराती, संस्कृत और हिंदी भाषाओं पर समान अधिकार रखते थे। इन सभी भाषाओं में वह धाराप्रवाह लिखते और बोलते थे।

बिहार आंदोलन में सक्रियता के कारण तत्कालीन राज्य सरकार ने उन्हें बिहार निकाला कर दिया था। उन्होंने युद्ध विरोधी अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई थी और कार्यकर्ता प्रशिक्षण के लिए संपूर्ण क्रांति आंदोलन विद्यालय की स्थापना में सहयोग दिया था।

उनके परिवार में पुत्री संघमित्रा, पुत्र नचिकेता देसाई व अफलातून देसाई हैं। नारायणभाई की पत्नी का देहावसान 26 वर्ष पहले ही हो गया था।

नारायणभाई को साहित्य अकादमी पुरस्कार, मूर्तिदेवी पुरस्कार सहित कई साहित्यिक पुरस्कार तथा यूनेस्को से शांति पुरस्कार मिले थे।

गांधीवादी नारायण देसाई का निधन, प्रधानमंत्री ने शोक जताया (राउंडअप) Reviewed by on . नई दिल्ली/वलसाड, 15 मार्च (आईएएनएस)। प्रख्यात गांधीवादी चिंतक और महात्मा गांधी परिवार के करीबी नारायण देसाई का रविवार सुबह गुजरात के वलसाड जिले के वेदछी गांव मे नई दिल्ली/वलसाड, 15 मार्च (आईएएनएस)। प्रख्यात गांधीवादी चिंतक और महात्मा गांधी परिवार के करीबी नारायण देसाई का रविवार सुबह गुजरात के वलसाड जिले के वेदछी गांव मे Rating:
scroll to top