नई दिल्ली, 15 मार्च (आईएएनएस)। प्रख्यात गांधीवादी नारायण देसाई के निधन पर यहां रविवार को आयोजित शोकसभा में गांधीजनों ने गहरा शोक व्यक्त किया और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
देसाई का रविवार तड़के चार बजे गुजरात में वलसाड जिले के वेदछी गांव में निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे। उनकी अंत्येष्ठि अपराह्न् दो बजे वेदछी गांव से होकर बहने वाली वाल्मीकि नदी के तट पर किया गया।
राष्ट्रीय राजधानी की तीन प्रमुख गांधीवादी संस्थाओं -गांधी शांति प्रतिष्ठान, गांधी स्मारक निधि, और राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय- की ओर से आयोजित शोक सभा में गांधीवादियों ने नारायणभाई को गांधी परिवार और गांधी परंपरा की अमूल्य धरोहर बताया, जो अब स्मृतियों में बचे रह गए हैं।
विनोबा भावे द्वारा स्थापित संस्था खादी मिशन की ओर से भी यहां संस्था के परिसर में शोक सभा आयोजित की गई। सभा की अध्यक्षता खादी मिशन के अध्यक्ष व विनोबा भावे के सचिव रह चुके बाल विजय ने की।
वयोवृद्ध गांधीवादी रामचंद्र राही ने नारायणभाई को याद करते हुए कहा कि वह आजीवन गांधी विचार के लिए सक्रिय रहे और उसके लिए जीते रहे।
उन्होंने कहा, “1962-64 में अरुणाचल प्रदेश में शांति सेना का काम रहा हो, या भूदान आंदोलन, नारायण भाई हर समय आगे रहे।”
राही ने कहा कि 2002 के गुजरात दंगे के दौरान कुछ न कर पाने की व्यथा के कारण उनके भीतर से गांधी निकली और देश-विदेश में गांधी कथा की 108 कड़ियां उन्होंने पूरी की।
राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय की अध्यक्ष, डॉ. अपर्णा बसु ने नारायण भाई के निधन को गांधी परंपरा की एक अमूल्य कड़ी का टूट जाना बताया। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि नारायणभाई जैसे लोग मरते नहीं हैं, बल्कि अपने कार्यो से अमर हो जाते हैं।