नई दिल्ली, 15 मार्च (आईएएनएस)। राज्यसभा में सरकार के अल्पमत में होने के कारण खदान और कोयला विधेयकों को राज्यसभा में पारित कराने के लिए सोमवार से सात बजे के बाद भी ऊपरी सदन की कार्यवाही जारी रहेगी।
गौरतलब है कि ये विधेयक लोकसभा में पारित हो चुके हैं लेकिन राज्यसभा में सरकार के अल्पमत में होने की वजह से इन विधेयकों को पारित कराना सरकार के लिए एक चुनौती है।
पिछले सप्ताह राज्यसभा ने खदान अधिनियम और कोयला विधेयक में संशोधन के लिए दोनों विधेयकों को सदन की एक प्रवर समिति के पास भेजने का फैसला किया था। समिति 18 मार्च तक अपनी रपट सौंपेगी।
इससे पहले सरकार ने इन विधेयकों से संबंधित अध्यादेश जारी किए गए थे। ये अध्यादेश पांच अप्रैल को निष्क्रिय हो जाएंगे। इससे पहले इन अध्यादेशों को विधेयकों के रूप में पारित करवाना अनिवार्य है।
संसदीय मामलों के केंद्रीय मंत्री एम. वैंकेया नायडू ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि एक प्रवर समिति के गठन के लिए सहमति बन गई है।
खनिज और खदान (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक 2015 में खनिजों के आवंटन में पारदर्शिता लाने के लिए खदानों की नीलामी की प्रणाली पेश की गई है।
यह विधेयक तृणमूल कांग्रेस, बीजू जनता दल (बीजद) और क्रांतिकारी सोशलिस्ट पार्टी के सदस्यों द्वारा भारी विरोध के बीच लोकसभा में पारित हो गया है।
विपक्षी पार्टियों, विशेष रूप से बीजद ने यह कहते हुए इसका विरोध किया कि यह राज्यों के अधिकारों का हनन है।
इससे पहले इन दलों ने इसे राज्यसभा में पेश करने से भी रोका था।
विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक, 1957 के मूल अधिनियम के विपरीत नए विधेयक में किसी भी खनन रियायत का नवीनीकरण नहीं होगा।
सरकार पहले ही नीलामी के लिए 199 खदानों की पहचान कर चुकी है।