नई दिल्ली/कोलंबो, 14 मार्च (आईएएनएस)। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को 13 साल जेल की सजा सुनाए जाने के फैसले पर भारत और अमेरिका ने शनिवार को चिंता जताई।
आपराधिक न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अब्दुल्ला मोहम्मद को जनवरी 2012 में सैन्य हिरासत में रखने के मामले में उन्हें यह सजा सुनाई गई है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने ट्वीट किया, “मालदीव में हुई इस घटना को लेकर भारत बेहद चिंतित है और स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हुए है।”
नशीद के मामले की अंतिम सुनवाई के दौरान शुक्रवार रात यह फैसला सुनाया गया।
नशीद को सजा सुनाए जाने पर अमेरिका ने भी अपनी चिंता व्यक्त की है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, शनिवार को कोलंबो स्थित अमेरिकी दूतावास ने एक वक्तव्य जारी कर कहा कि नशीद पर मुकदमा चलाए जाने के दौरान पर्याप्त कानूनी प्रक्रिया का पालन करने में प्रत्यक्ष कमी पर अमेरिका चिंतित है।
मालदीव और श्रीलंका में अमेरिकी दूतावास की ओर से जारी वक्तव्य के अनुसार, “हमारी चिंता उन रपटों को लेकर है, जिनमें कहा गया है कि नशीद के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया में मालदीव के कानून एवं नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध के तहत न्यूनतम निष्पक्ष सुनवाई की मालदीव की प्रतिबद्धता का पालन नहीं किया गया।”
अमेरिका ने मालदीव सरकार को लोकतंत्र और कानून-व्यवस्था, जिसमें न्यायिक स्वतंत्रता शामिल है, तथा मूल अधिकारों की रक्षा, जिसमें स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति, अपना विचार रखने की स्वतंत्रता एवं प्रेस की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण ढंग से संगठित होने एवं शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन शामिल हैं, के प्रति अपनी प्रतिबद्धता साबित करने की दिशा में कदम उठाने के लिए भी कहा है।
मिनीवान न्यूज के मुताबिक, “फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश अब्दुल्ला दीदी ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए सबूत से सिद्ध होता है कि नशीद ने मुख्य न्यायाधीश को गिरफ्तार करने या अपहरण करने तथा गिरीफूशी द्वीप में हिरासत में रखने का आदेश दिया।”