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‘चमड़ा उद्योग में विकसित किए जाएं भारतीय ब्रांड’

कोलकाता, 14 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय चमड़ा उद्योग जगत के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि भारत को अपना खुद का चमड़ा उत्पाद ब्रांड विकसित करने की जरूरत है।

गौरतलब है कि भारत से मुख्यत: तैयार चमड़ा विदेशों को निर्यात किया जाता है या कांट्रैक्ट मिलने पर ही चमड़े के उत्पाद तैयार किए जाते हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष अप्रैल से नवंबर के बीच भारत से तैयार चमड़ा के निर्यात में 10 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।

भारतीय चमड़ा उत्पाद संघ की एक समिति के अध्यक्ष आधार साहनी ने आईएएनएस से कहा, “निजी तौर पर मैं चाहता हूं कि भारत ठेके पर चमड़े के उत्पादों का निर्माण कम करे और भारतीय कंपनियां किसी बाहरी कंपनी के लिए उत्पादन करने की बजाय अपना खुद का ब्रांड विकसित करें।”

अप्रैल से नवंबर 2014 के बीच चमड़ा निर्यात उद्योग 18.5 फीसदी की दर से वृद्धि कर रहा है तथा इस अवधि में कुल 26,940 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ, जबकि 2013 में इसी अवधि में कुल निर्यात 22,729 करोड़ रुपयों का रहा था।

चमड़ा उद्योग में लंबे समय से काम कर रहे साहनी के अनुसार, यूरोप को होने वाले निर्यात की स्थिति अच्छी नहीं है, क्योंकि यूरो की कीमत में रुपये के मुकाबले गिरावट आई है। रूस को होने वाले निर्यात में भी कमी आई है।

साहनी ने कहा, “रूस में ब्रांडेड उत्पाद की मांग अधिक रहती है और वो यूरोपीय ब्रांड को तरजीह देते हैं। अब चूंकि रूस में व्यापार पर रोक लगी हुई है तो भारत से तैयार चमड़े की मांग में गिरावट आई है।”

रूस को सीधे निर्यात करने के सवाल पर साहनी ने कहा, “वैश्विक स्तर पर पहले से मौजूद बड़े निर्यातकों से टक्कर लेने के लिए भारत को पहले अपना खुद का विश्व स्तरीय ब्रांड विकसित करना होगा।”

उन्होंने आगे कहा कि भारत में भी अब ब्रांड के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। कंपनियां वैश्विक मानकों पर खरा उतरने के लिए बेहतर उत्पाद तैयार करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, जो चमड़ा उद्योग के लिए अच्छा है।

साहनी ने यह भी कहा कि चमड़ा उत्पाद निर्मित करने वाली भारतीय कंपनियों को अपना खुद का ब्रांड विकसित करने की जरूरत है, क्योंकि भारतीय चमड़ा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित हो चुका है।

साहनी ने हालांकि वित्तीय परेशानी को चमड़ा उद्योग की सबसे बड़ी चुनौती बताया।

उन्होंने कहा, “भारतीय चमड़ा उद्योग को सर्वाधिक जरूरत ऐसे निवेशकों की है, जो वैश्विक ब्रांड के रूप में खुद को स्थापित करने की इच्छा रखने वाली कंपनियों में पैसा लगाने को तैयार हों।”

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