विधानसभा सचिवालय के मुताबिक, राज्यपाल के अभिभाषण के बाद नीतीश विधानसभा में विश्वास का मत पेश करेंगे। राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) का समर्थन नीतीश सरकार को हासिल है। विश्वास मत को लेकर बिहार में सतारूढ़ जनता दल (युनाइटेड), राजद और कांग्रेस ने व्हिप जारी किया है।
विधानसभा सचिवालय के मुताबिक, राज्यपाल के अभिभाषण के बाद नीतीश विधानसभा में विश्वास का मत पेश करेंगे। राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) का समर्थन नीतीश सरकार को हासिल है। विश्वास मत को लेकर बिहार में सतारूढ़ जनता दल (युनाइटेड), राजद और कांग्रेस ने व्हिप जारी किया है।
इधर, भातीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विश्वास मत प्रस्ताव पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। भाजपा के विधायक और पूर्व मंत्री नंदकिशोर यादव ने कहा कि भाजपा फ्लोर पर ही अपनी रणनीति का खुलासा करेगी।
बहुमत के लिए सरकार को 117 सदस्यों के समर्थन की जरूरत है। हालांकि, जद (यू) के करीब 10 विधायक पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के साथ बताए जाते हैं।
जद (यू) के मुख्य सचेतक और राज्य के संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने कहा, “विश्वास मत प्रस्ताव के पक्ष में मतदान के लिए जद (यू) के सभी 110 विधायकों को व्हिप जारी किया गया है। इनमें जीतन राम मांझी और उनके समर्थक विधायक भी शामिल हैं। यदि कोई भी विधायक विश्वास मत प्रस्ताव के खिलाफ वोट करते हैं तो विधानसभा से उनकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी।”
उल्लेखनीय है कि नीतीश ने 22 फरवरी को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी शिकस्त के बाद नीतीश ने मुख्यमंत्रंी पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बने थे। पिछले दिनों पार्टी द्वारा मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के सवाल पर मांझी ने पार्टी से बगावत कर दिया था और अंत में उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में 10 सीटें रिक्त है। बहुमत साबित करने के लिए कुल 117 विधायकों की जरूरी है। मौजूदा समय में विधानसभा में जद (यू) के 111 (विधानसभा अध्यक्ष सहित), भाजपा के 87, कांग्रेस के पांच, राजद के 24, निर्दलीय पांच और भाकपा के एक सदस्य हैं।