पटना, 9 मार्च (आईएएनएस)। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपनी सरकार के कार्यकाल में लिए गए 34 फैसलों को रद्द करने के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार के फैसले के विरोध में सोमवार को एक दिवसीय धरना दिया और उपवास पर बैठे।
पटना के गांधी मैदान में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष उपवास पर बैठे मांझी अपनी सरकार के कार्यकाल में लिए गए फैसलों को रद्द किए जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उनकी सरकार ने सभी निर्णय जनहित में लिए थे।
उपवास पर बैठे मांझी ने नीतीश की इस दलील को खारिज कर दिया कि इन फैसलों को लागू करने के लिए पैसे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार अनावश्यक निर्माण कार्य करवाकर कमीशनखोरी को बढ़ावा दे रही है, लेकिन जनहित में लिए गए फैसलों को रद्द कर रही है।
उन्होंने कहा, “नीतीश सरकार ने अभी सदन में विश्वासमत भी हासिल नहीं किया है और हमारे फैसलों को रद्द कर रही है। हम सरकार के इस कदम का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध कर रहे हैं।”
मांझी ने आगे कहा, “मेरे मंत्रिपरिषद के निर्णयों को रद्द करने का फैसला नीतीश के अहंकारी हो जाने की पुष्टि करता है। नीतीश सोचते हैं कि वह जो कर रहे हैं, वह ठीक है और बाकी लोगों की सोच गलत है।”
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तानी आवाम पार्टी (हम) इस मुद्दे को लेकर लोगों के बीच जाएगी, फैसला जनता को करना है।
इधर, उपवास में शामिल पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद से मांझी को प्रोजेक्ट कर विधानसभा चुनाव लड़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि मांझी की अगुवाई वाला ‘महागठबंधन’ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का विकल्प हो सकता है।
मांझी के साथ धरने में पूर्वमंत्री नरेंद्र सिंह, नीतीश मिश्रा, महाचंद्र सिंह सहित कई पूर्व मंत्री, विधायक और नेता भी शामिल हुए।
उल्लेखनीय है कि बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में मांझी मंत्रिपरिषद द्वारा 10, 18 एवं 19 फरवरी को लिए गए 34 निर्णयों को रद्द कर दिया गया था।