कोलकाता, 7 मार्च (आईएएनएस)। कानून से संबद्ध नागरिकों का दायित्व है कि वे चिटफंड कंपनियों के मामलों की जांच में सहयोग करें, यह बात पार्टी में दरकिनार किए गए तृणमूल कांग्रेस नेता मुकुल रॉय ने कही।
इसी बीच दिनभर अटकलें लगाई जाती रहीं कि चिटफंड कंपनियों से संबंध के मामले में जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) तृणमूल कांग्रेस के सांसद तापस पॉल को पूछताछ के लिए बुला सकती है।
रॉय से करोड़ों रुपयों के शारदा घोटाला से संबंधों के मामले में सीबीआई पहले ही पूछताछ कर चुकी है।
रॉय ने अप्रैल 2013 में प्रकाश में आए इस घोटाले से बर्बाद हुए निवेशकों की क्षतिपूर्ति करने का अनुरोध किया है।
तापस पॉल के घर पर सीबीआई की छापेमारी पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर मुकुल रॉय ने कहा, “निवेशकों की क्षतिपूर्ति का प्रयास होना चाहिए। मुझे लगता है कि अगर कानून से संबद्ध लोगों को जांच के संबंध में पूछताछ के लिए बुलाया जाता है तो उन्हें सहयोग करना चाहिए।”
पॉल का घर रोज वैली समूह के उन 43 स्थानों में से एक है जहां पर सीबीआई ने बुधवार को चिटफंड मामले के संबंध में छापेमारी की थी।
अस्वीकृत निवेश योजनाओं द्वारा जनता से धन जुटाने के आरोप में रोज वैली समूह विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों की जांच के केंद्र में है। रोज वैली समूह की जांच बाजार नियामक सेबी, गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रहा है।
कभी तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी के दाएं हाथ माने जाने वाले मुकुल रॉय को पार्टी से दरकिनार कर दिया गया है। उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से भी हटा दिया गया है। दरअसल उन्होंने पार्टी से अलग जाकर सीबीआई को जांच में सहयोग का वादा किया था।
बंगाल के परिवहन मंत्री मदन मित्रा समेत तृणमूल के कई नेता इस जांच के घेरे में हैं और सलाखों के पीछे हैं। सीबीआई की जांच को लेकर तृणमूल हमलावर है और इसे केंद्र की भाजपा नीत सरकार का राजनीतिक विभाग करार दे चुकी है।
राज्य सरकार मामले की सीबीआई जांच के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय भी गई थी, लेकिन उसकी याचिका खारिज कर दी गई।
रॉय ने कहा, “मैं अभी भी पार्टी में हूं और यह पार्टी पर है कि वह मेरी सेवा का लाभ किस तरह लेना चाहती है।”