नई दिल्ली, 5 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को गैरकानूनी शिक्षक भर्ती घोटाले में दोषी ठहराए गए हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को निचली अदालत से सुनाई गई 10 साल कैद की सजा को बरकरार रखा।
वर्ष 2000 में राज्य में 3,000 से अधिक शिक्षकों की अवैध नियुक्ति हुई थी। अदालत ने माना कि इनेलो (इंडियन नेशनल लोकदल) प्रमुख ने हरियाणा के युवाओं के साथ धोखाधड़ी की जिसके लिए वह ‘कठोरतम सजा के हकदार हैं।’
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने कहा कि ओम प्रकाश चौटाला उस दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री थे..उन्होंने राज्य के युवाओं के भविष्य के साथ धोखाधड़ी की और वह कड़े दंड के लायक हैं।
अदालत ने मामले में जमानत पर बाहर आरोपियों से शेष सजा भुगतने के लिए तुरंत समर्पण करने के लिए कहा।
ओम प्रकाश चौटाला पिछले वर्ष 10 अक्टूबर से जेल में हैं। उस समय अदालत ने उनसे समर्पण करने को कहा था। चौटाला कथित रूप से जमानत का दुरुपयोग कर रहे थे और विधानसभा चुनाव के प्रचार में जुटे थे। उच्च न्यायालय में सुनवाई लंबित रहने के दौरान पिता-पुत्र चौटाला चिकित्सकीय आधार पर जमानत पर बाहर रहे हैं।
अदालत ने यह माना कि सुनवाई के दौरान अभियोजन द्वारा अत्यंत जोरदार सबूतों के जरिए ‘हमारे देश में हतप्रभ करने वाली और रुह कंपा देने वाली स्थिति’ का खुलासा किया।
न्यायमूर्ति मृदुल ने इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला की उम्र (80 वर्ष) को देखते हुए सजा में किसी प्रकार की नरमी बरतने से इंकार कर दिया। उनकी सक्रिय संलिप्तता पर न्यायमूर्ति ने कड़ी टिप्पणी की।
न्यायालय ने इस मामले में ओम प्रकाश चौटाला के तीन राजनीतिक सलाहकारों शेर सिंह बडशामी, उनके पूर्व ओएसडी विद्या धर और हरियाणा के पूर्व प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार को भी सुनाई गई 10 साल कैद की सजा बरकरार रखी।
पूरी तरह भरे हुए कक्ष में न्यायमूर्ति मृदुल ने फैसला सुनाते हुए कहा, “यही रास्ते का अंत है। मैं आपसे कहना चाहता हूं कि सभी अपील खारिज किए जाते हैं।”
अदालत ने कहा कि उन लोगों के बीच एक ही सूत्र ‘प्रणाली की अवहेलना’ है। न्यायमूर्ति मृदुल ने 400 पृष्ठों के फैसले में कहा है, “इनमें से हर किसी ने अपना लक्ष्य साधने के लिए स्थापित प्रक्रिया को बाधित करने में भूमिका अदा की।”
न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अभियुक्तों की सभी 55 अपीलों को भी खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति मृदुल ने कुल 55 आरोपियों में से पांच को सुनाई गई 10 साल कैद की सजा बरकरार रखने के साथ-साथ 50 अन्य आरोपियों की सजा दो वर्ष कम कर दी।
अदालत ने कहा कि घोटाले ने दर्शाया है कि किस तरह सक्षम शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया को कलंकित किया गया और यह भ्रष्टाचार से भी पृथक नहीं रहा।
फैसले में कहा गया है कि शिक्षा एक औजार है जिसका इस्तेमाल सक्षम शिक्षकों के द्वारा युवाओं को दिशा प्रदान करने के लिए किया जाता है ताकि वे भविष्य में भारत को अग्र पंक्ति में गिने जाने वाले सफलता का प्रतिमान बनाने में उपयोगी नागरिक बन सकें।
केंद्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत ने 22 जनवरी, 2013 को चौटाला और 10 अन्य आरोपियों को वर्ष 2000 में 3,206 अल्प प्रशिक्षित कनिष्ठ शिक्षकों की अवैध भर्ती के लिए 10 साल कैद की सजा सुनाई थी।
इस मामले में एक दोषी को पांच साल कैद की सजा सुनाई गई है, जबकि 44 अन्य को चार-चार साल कैद की सजा सुनाई गई है।
सभी अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत धोखाधड़ी, जालसाजी, फर्जी दस्तावेजों को असली बनाकर पेश करने, षड्यंत्र करने और भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम के तहत पद का दुरुपयोग करने का दोषी पाया गया था।