मुंबई, 5 मार्च (आईएएनएस)। आम आदमी पार्टी (आप) के नेता प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव पार्टी की सर्वोच्च नीति नियामक निकाय से इस्तीफा देने के लिए तैयार थे, लेकिन उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समर्थकों ने बहुमत से बाहर निकाला। आप के वरिष्ठ नेता मयंक गांधी ने यह दावा किया।
मयंक गांधी ने योगेंद्र और प्रशांत के हवाले से लिखा कि केजरीवाल उन्हें पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) में रखना नहीं चाहते। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बुधवार को हुई बैठक में 19 सदस्यों ने भाग लिया था, जिनमें मयंक गांधी भी शामिल थे।
गांधी ने कहा कि हालांकि दोनों ही नेता पीएसी से बाहर जाने के लिए तैयार थे, और इसके लिए उन्होंने दो प्रस्ताव भी रखे थे।
यादव और भूषण ने सुझाव दिया कि नौ सदस्यीय पीएसी का दोबारा गठन किया जाए, जिसमें सदस्यों को मतदान के माध्यम से चुना जाए, मगर चुनाव की इस प्रक्रिया में वे दोनों भाग नहीं लेंगे।
दूसरा सुझाव उन्होंने दिया कि पीएसी इसी तरह कार्यरत रह सकती है, लेकिन यादव और भूषण इसकी बैठकों में भाग नहीं लेंगे।
उन्होंने कहा, “बैठक कुछ समय के लिए स्थगित हो गई और मनीष सिसोदिया और अन्य को आशीष खेतान, आशुतोष, दिलीप पाण्डेय आदि ने फैसला लेने के लिए अधिकृत कर दिया।”
मयंक गांधी ने बुधवार की रात अपने ब्लॉग में लिखा, “दोबारा से बैठक होने पर मनीष सिसोदिया ने एक प्रस्ताव रखा कि योगेंद्र और प्रशांत को पीएसी से बाहर निकाल दिया जाए। इस प्रस्ताव को संजय सिंह ने सहमति दी।”
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आशीष खेतान, आशुतोष, पाण्डेय और संजय सिंह केजरीवाल समर्थक माने जाते हैं। बैठक से पहले उनमें से कुछ ने भूषण और यादव के खिलाफ कई चुभने वाले आरोप लगाए। उन्होंने योगेंद्र पर केजरीवाल के खिलाफ बगावत करने का आरोप लगाया।
गांधी ने कहा कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मतदान की प्रक्रिया में कुछ अन्य सदस्यों के साथ उन्होंने भी हिस्सा नहीं लिया था। वह हालांकि इस बात पर सहमत थे कि यादव और भूषण को पीएसी से बाहर रखा जाना चाहिए और कुछ अन्य जिम्मेदारियां दी जानी चाहिए, क्योंकि केजरीवाल पीएसी का काम करने के लिए केजरीवाल को सहज माहौल की जरूरत है।
गांधी ने कहा, “मैं प्रस्ताव लाकर उन्हें सार्वजनिक रूप से हटाने की बात पर दंग था, खासतौर पर तब जब वे स्वयं पीएसी छोड़ने के लिए तैयार थे। इसके अलावा उन्हें बर्खास्त करने का फैसला पूरे देश के आप कार्यकर्ताओं की भावनाओं के खिलाफ था।”
उन्होंने कहा कि यद्यपि यादव और प्रशांत को पीएसी से इस्तीफा देना चाहिए, लेकिन प्रस्ताव के पीछे का ढंग और इरादा स्वीकार नहीं है और इसीलिए उन्होंने खुद को मतदान से अलग रखा।
मयंक गांधी आप की महाराष्ट्र इकाई के संयोजक हैं।