नई दिल्ली, 5 मार्च (आईएएनएस)। वैश्विक स्वर्ण पुनर्चक्रण वर्ष 2014 में घटकर सात साल के निचले स्तर पर पहुंच गया और इसके 2015 में भी निचले स्तर पर रहने की उम्मीद है। यह जानकारी यहां एक रिपोर्ट से मिली।
‘द अप्स एंड डाउनंस ऑफ गोल्ड रिसाइक्लिंग : अंडर्सटेंडिंग मार्केट ड्राइवर्स एंड इंडस्ट्री चैलेंजेज’ रिपोर्ट गुरुवार को जारी हुई है। रिपोर्ट का लेखन और प्रकाश विश्व स्वर्ण परिषद और द बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) ने मिलकर किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “इसका एक कारण यह है कि पिछले कई साल के मुकाबले सोने की कीमत काफी कम है। इसके कारण डिस्ट्रेस सेलिंग कम हो रहा है और परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में अधिक स्थायित्व आया है और सोने के पुनर्चक्रण में कमी आई है।”
विश्व स्वर्ण परिषद के मार्केट इंटेलीजेंस प्रमुख एलिस्टेयर हेविट ने कहा, “2014 में पुनर्चक्रण में कमी विकासशील और औद्योगिक दोनों देशों में देखी गई, फिर भी औद्योगिक देशों में इसका प्रभाव अधिक रहा। 2015 में भी इसमें कमी रहने की उम्मीद है आगे इसमें और कमी आ सकती है।”
रिपोर्ट के मुताबिक, 19995 और 2014 के बीच सोने की कुल आपूर्ति में पुनर्चक्रित सोने का योगदान औसतन करीब एक तिहाई रहा है। 1982 से 2012 तक के पुनर्चक्रण आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि कीमतों में होने वाली उतार-चढ़ाव पुनर्चक्रण के स्तर को 75 फीसदी तक प्रभावित करती है और आर्थिक झटकों से यह 20 फीसदी तक बढ़ सकता है।
विश्व स्वर्ण परिषद के भारतीय कारोबार के प्रबंध निदेशक सोमासुंदरम पीआर ने कहा, “भारत खनन से सोने की आपूर्ति नहीं बढ़ा सकता है, लेकिन पुनर्चक्रण से निश्चित रूप से बढ़ा सकता है। अभी कुल पुनर्चक्रण का सिर्फ 0.5 फीसदी भारत में हो रहा है। लेकिन हाल में की गई कुछ नीतिगत घोषणाओं से उपभोक्ताओं के सोने से संबंधित मुद्दों से निपटने की कोशिश की गई है और इससे पुनर्चक्रण पर भी प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।”