इस्लामाबाद, 4 मार्च (आईएएनएस)। पाकिस्तानी सेना द्वारा 1999 में भारत के खिलाफ कारगिल में छद्म युद्ध छेड़ने के निर्णय ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस्लामाबाद को ‘और भी अप्रासंगिक’ बना दिया। बुधवार को पाकिस्तान के एक दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित एक लेख में ये बातें कही गईं हैं।
समाचार पत्र ‘डेली टाइम्स’ में बुधवार को प्रकाशित अपने लेख में स्तंभकार कैसर राशिद ने लिखा है, “भारत और पाकिस्तान के आपसी संबंधों के संदर्भ में, 1999 को शीतयुद्ध दौर के बाद का सबसे महत्वपूर्ण वर्ष कहा जा सकता है।”
उन्होंने अपने लेख में कहा है, “कारगिल युद्ध से स्पष्ट हो चुका है कि भारत एक क्षेत्रीय विवाद में अमेरिका को हस्तक्षेप करने के लिए और उसके (अमेरिका) सहयोगी पाकिस्तान पर लगाम लगाने के लिए राजी कर सकता है।”
राशिद ने अपने लेख में कहा है कि कारगिल युद्ध के बाद पाकिस्तान मामले पर भारत और अमेरिका के बीच संबंध मधुर हो गए।
पाकिस्तानी सेना 1999 में आतंकवादियों और गुरिल्ला हमलावरों के भेष में भारतीय सीमा में घुस आई थी और कश्मीर की सीमा से लगी कारगिल पहाड़ी पर कब्जा कर लिया था, जिसके कारण भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया था।
नवाज शरीफ उस समय भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे और तब उन्होंने कहा था कि तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तानी सेना की इस कार्रवाई से उन्हें अंधेरे में रखा था।
मुशर्रफ ने उसी वर्ष शरीफ को अपदस्थ कर पाकिस्तान में सैन्य शासन लागू कर दिया था।
शरीफ बाद में 2008 में दोबारा चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बने।
राशिद के अनुसार, इसके बाद भारत और अमेरिका तेजी से एक-दूसरे के नजदीक आए और पाकिस्तान अप्रासंगिक होता चला गया।
राशिद ने लिखा है, “मौजूदा समय में दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन का पलड़ा भारत की ओर अधिक झुका हुआ है। पाकिस्तान ने भारत और अमेरिका के निगाह में तेजी से अपनी विश्वसनीयता खो दी है।”
राशिद आगे लिखते हैं, “क्या पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को हवा देने के लिए फिर से एक और कारगिल युद्ध छेड़ सकता है? जवाब होगा नहीं। यहां तक कि चीन भी इस पर हामी नहीं भरेगा। इस तरह की किसी भी हरकत पर पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से गंभीर प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ सकता है।”