नई दिल्ली, 4 मार्च (आईएएनएस)। इंडियन मेडिकल एसोसिएसन (आईएमए) के महासचिव पद्मश्री डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा कि उत्तरायण के पहले 6 महीने में सिर्फ होली ही एक प्रमुख त्योहार आता है। उत्तरायण सकारात्मक मनोस्थिति का काल होता है, जो नए दोस्त बनाने और आपके दुश्मनों को भी दोस्त में बदलने में सहायक होता है।
डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा कि होलाष्टक, जो कि होली से पहले का 8 दिन का समय होता है, का उद्देश्य यही होता है। किसी के भी मन के कलुश यानी नकारात्मकता अथवा ईगो मिटाने में आठ दिन का समय लगता है और यही बात आपके उन विरोधियों पर भी लागू होती है जिनके साथ आपका कोई विवाद हो। एक बार मन से नकारात्मकता हट जाने के बाद होली दोस्ताना माहौल में खेली जाती है।
आईएमए ने होली के लिए कुछ दिशानिर्देश भी जारी किए हैं :
* पानी से भरे गुब्बारे फेंकने से आंखों व सिर पर चोट लग सकती है।
* हरे रंगों में मैलासाइट ग्रीन नामक केमिकल होता है जो आंखों के लिए खतरनाक हो सकता है।
* होली के अधिकतर रंगों में आर्टिफिशियल कलर/डाई अथवा शीशा हो सकता है। ये केमिकल शरीर और आंखों के लिए हानिकारक होते हैं। चमकदार रंगों में पिसा हुआ शीशा या माइका हो सकता है, जो खतरनाक होता है।
* होली खेलने के लिए हल्दी और फूलों से बने रंगों का इस्तेमाल करें।
* मिलावटी मिठाइयां खाने से बचें।
* भांग या अल्कोहल का इस्तेमाल न करें।
* लड़के लड़कियों का यौन उत्पीड़न करने के लिए ठंडाई में भांग के साथ डेट रेप ड्रग मिला सकते हैं। पोस्को अधिनियम के मुताबिक, 18 साल से कम उम्र की किसी भी लड़की का अगर यौन उत्पीड़न होता है, भले ही यह होली की खुमारी में ही क्यों न किया गया हो, अपराधी को इसके लिए सजा भुगतनी पड़ेगी। पोस्को एक्ट के मुताबिक कोई भी व्यक्ति अगर 18 साल से कम उम्र की लड़की की छाती पर हाथ लगाता है तो वह सजा का हकदार है।
* जिन लोगों को भी सर्दी-जुकाम हुआ हो, वे होली खेलने से बचें, क्योंकि इन दिनों स्वाइन फ्लू फैला हुआ है और अगर कोई व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति से 3 फीट से कम दूरी से मिलता है तो उसे भी संक्रमण हो सकता है। बेवक्त बारिश और इससे तापमान में आई गिरावट के चलते स्वाइन फ्लू का असर कुछ और दिन बरकरार रहेगा।
आईएमए के मुताबिक, स्वाइन फ्लू से पीड़ित लोगों को होली की भीड़ में जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।