संयुक्त , 4 मार्च (आईएएनएस)। भारत ने विश्वभर में मानवाधिकारों की मजबूती और बढ़ावा देने के लिए सभी धर्मो और सभ्यताओं के लोगों के बीच गैर-सैद्धांतिक और खुली बातचीत का आह्वान किया।
संयुक्त , 4 मार्च (आईएएनएस)। भारत ने विश्वभर में मानवाधिकारों की मजबूती और बढ़ावा देने के लिए सभी धर्मो और सभ्यताओं के लोगों के बीच गैर-सैद्धांतिक और खुली बातचीत का आह्वान किया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के कार्यवाहक स्थायी प्रतिनिधि बी.एन.रेड्डी ने मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में मंगलवार को कहा, “सभी धर्मो, सभ्यताओं और संस्कृति के लोगों के बीच विभिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए खुली और रचनात्मक वार्ता सांस्कृतिक समझ, सहिष्णुता और विविधता के प्रति सम्मान को बढ़ावा देगी।”
उन्होंने कहा, “यह व्यावहारिक और गैर-सैद्धांतिक रवैया मानवाधिकार को बढ़ावा देने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में योगदान दे सकता है।”
रेड्डी ने भारत और समान सोच वाले 27 देशों की तरफ से यूनएचआरसी की ‘इनहैंसिंग इंटरनेशनल कोऑपरेशन इन द फील्ड ऑफ ह्यूमन राइट्स’ की बैठक में यह बात कही।
इस समूह में पाकिस्तान और रूस, चीन, सऊदी अरब एवं वेनेजुएला शामिल हैं।
मानवाधिकार पर पूर्णतावादी रवैये को पेश करते हुए रेड्डी ने कहा कि विश्व में चुनौती गरीबी और असमानता के कारण बढ़ रही है और उन्होंने विकास के अधिकार के आधार से जुड़े रवैये को अपनाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, “सुरक्षा, विकास और मानवाधिकार पारस्परिक रूप से एक-दूसरे पर निर्भर और आपस में जुड़े हुए हैं और उन्हें अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता।”
रेड्डी ने कहा, “विकास का अधिकार आधारित रवैया अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और मानवाधिकारों की चुनौतियों से व्यापक रूप से निपटने का सही प्रारूप तैयार करने और संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था के तीनों स्तभों को मजबूत करने में मदद करेगा।”
विकास का अधिकार घोषणा-पत्र 1986 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अंगीकार किया था, जिसके तहत सभी को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास में हिस्सेदारी करना और योगदान देना होगा और इसका लाभ उठाना होगा, ताकि सभी मानवाधिकार और मौलिक स्वतंत्रता को पूरी तरह महसूस किया जा सके।
रेड्डी ने कहा कि यूएनएचआरसी को घोषणापत्र को प्राथमिकता देने के लिए कदम उठाना होगा।