इस के अलावा भारतीय पक्ष ने रूसी शिक्षकों को भारत में आमंत्रित करने में दिलचस्पी प्रकट की। इस से अधिक अधिक विषयों की पढ़ाई करने और शिक्षा की कीमत घटाने की संभावना मिलेगी। सालुकोव ने बताया कि फरवरी में रूसी थलसेना के कमांडरों ने कुछ सालों के अंतराल के बाद पहली बार भारत की यात्रा की। हमारी यात्रा की योजना पहले से बनायी गयी थी। हम ने रक्षा मंत्री की भारत यात्रा के एक माह बाद अपनी यात्रा की। रक्षा मंत्री ने जो लक्ष्य उठाये, उन सभी को लेकर काम शुरू हो चुका है। खासकर यह बात सभी स्तरों पर प्रतिनिधि मंडलों के आदान-प्रदान पर लागू है। भारतीय साझेदार न केवल मुख्यालयों के स्तर पर बल्कि सामरिक स्तर पर भी प्रतिनिधि मंडलों के आदान-प्रदान में रुचि लेते हैं। जनरल के कथनानुसार रूसी कमांडरों का एक दल कुछ समय तक भारत में काम करने के लिये भेजा जा सकता है। अपनी तरफ से भारत अपने सैनिक विशेषज्ञों को रूस भेज देगा। ओलेग सालुकोव ने कहा कि भारतीय सेना के पास बहुत से रूसी उपकरण हैं, इसलिये ऐसे आदान-प्रदान न केवल संयुक्त सैनिक अभ्यासों के लिये तैयारियों के रूप में बल्कि व्यावहारिक रूप से भी, दैनिक कार्यों के लिये उपयोगी साबित होंगे।