नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। देश के उद्योग जगत ने आम बजट 2015-16 का स्वागत करते हुए कहा कि इसमें दहाई अंक में विकास दर की रूपरेखा पेश किया गया है और लोगों के हाथों में अधिक पैसे छोड़े जाने के कारण अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ेगी।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की अध्यक्ष ज्योत्स्ना सूरी ने कहा, “इस बजट में देश को दहाई अंक वाली विकास दर की ओर ले जाने के लिए रूपरेखा पेश की गई है। हम सिर्फ यह नहीं देख रहे हैं कि अर्थव्यवस्था किस ओर जाएगी, बल्कि यह भी देख रहे हैं कि हमें किस-किस मुकाम से गुजरना है।”
ज्योत्स्ना ने कहा, “22 प्रमुख क्षेत्रों में उल्टे शुल्क संरचना को ठीक कर बजट ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम को बल प्रदान किया है।”
भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि लोगों के हाथ में पैसा छोड़ने के कारण वस्तु एवं सेवाओं की मांग में वृद्धि होगी।
उन्होंने कहा, “बजटीय प्रावधानों से निवेश चक्र मजबूत होगा।”
एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) के अध्यक्ष राणा कपूर ने कहा, “सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल को फिर से संतुलित करने और सरकार को अधिक जोखिम लेने के लिए कहने से निजी क्षेत्र को अवसंरचना में निवेश करने के लिए प्रेरणा मिलेगी, जबकि कुछ अन्य प्रावधानों से देश में कारोबार करना आसान होगा।”
उन्होंने कहा, “राज्यों के हाथ में अधिक धन होने से जमीनी स्तर पर विकास होगा, चरणबद्ध तरीके से कंपनी कर को 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी किया जाना स्वागत योग्य कदम है, हालांकि कंपनियों को कर छूट समाप्त होने के लिए तैयार रहना चाहिए।”
पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष आलोक बी श्रीराम ने कहा, “काले धन से लड़ाई जारी रहनी चाहिए और इस संबंध में बनने वाले नए कानून का स्वागत है।”
उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि ईमानदार करदाता परेशान न हो, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए।