नई दिल्ली, 26 फरवरी (आईएएनएस)। रेल बजट 2015-16 में यात्री किरायों और मालभाड़े किराये में वृद्धि नहीं की गई है। बजट में अगले पांच सालों में 850,000 करोड़ रुपये निवेश करने की घोषणा की गई।
मौजूदा रेल पटरियों का आधुनिकीकरण करने और तीव्रगामी रेलगाड़ियां शुरू करने की ओर ध्यान दिया गया है।
रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने गुरुवार को लोकसभा में बताया कि अगले वित्तवर्ष में निवेश के लिए उपलब्ध रेल राजस्व का अनुपात 11.5 प्रतिशत बढ़ेगा। मौजूदा वित्तवर्ष में यह 8.2 प्रतिशत है।
रेल बजट ऐसे समय में आया है, जब संचालन अनुपात के आधार पर भारतीय रेल की माली हालत सबसे बुरे स्तर पर है।
2010-11 में भारतीय रेल का संचालन अनुपात 90 प्रतिशत से अधिक के गैर-टिकाऊ स्तर तक लुढ़क चुका है, जबकि 1950 के दशक में यह अनुपात लगभग 80 प्रतिशत था। वैश्विक स्तर पर, 75-80 प्रतिशत या इससे कम संचालन अनुपात को आदर्श मानदंड माना जाता है लेकिन इस मामले में भारत सबसे बुरे रेल नेटवर्को की सूची में शामिल है।
प्रभु ने गुरुवार को 2014-15 के लिए 92.5 प्रतिशत के लक्षित अनुपात की तुलना में 88.5 प्रतिशत के संचालन अनुपात को प्रस्तावित किया है, जिसमें वास्तव में 91.8 प्रतिशत से सुधर हुआ है।
प्रभु ने लोकसभा में बताया कि “यह प्रस्तावित संचालन अनुपात पिछले नौ वर्षो की तुलना में सबसे बेहतर होगा।”
उन्होंने कहा कि भारतीय रेल को अगले तीन से चार वर्षो में 100 अरब डॉलर यानी 600,000 करोड़ रुपये की पूंजी की जरूरत होगी।
प्रभु ने आगे कहा, “बजटीय सहयोग देना सबसे आसान तरीका है।” हालांकि, इस मामले पर वित्तमंत्री की अपनी बाध्यता है।
गौरतलब है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली शनिवार को अपनी सरकार का पहला आम बजट पेश करेंगे।
भारतीय रेल को सरकार से लगभग 50,000 करोड़ रुपये की बजटीय सहयोग मिलने की उम्मीद है, जबकि बाकी की पूंजी बाहरी स्रोतों और सार्वजनिक-निजी साझेदारी से मिलने की संभावना है।
प्रभु ने वित्त जुटाने की संगठनात्मक योजनाओं के बारे में कहा, “हम अन्य स्रोतों का भी दोहन करेंगे। बहुपक्षीय विकास बैंकों और पेंशन फंडों ने भी भारतीय रेल में निवेश करने में रुचि दिखाई है।”