मनाली, 26 फरवरी (आईएएनएस)। विश्व स्तरीय मंदी और अनिश्चितता ने हिमाचल प्रदेश के इस मनोहारी दृश्य वाले पर्यटक स्थल की हेलीस्कीइंग उद्योग को बुरी तरह प्रभावित किया है। इस वर्ष गर्मियों में यूरोप और रूस से आने वाले अधिकांश स्कीयर्सो ने अपना बुकिंग निरस्त करा लिया है।
मनाली, 26 फरवरी (आईएएनएस)। विश्व स्तरीय मंदी और अनिश्चितता ने हिमाचल प्रदेश के इस मनोहारी दृश्य वाले पर्यटक स्थल की हेलीस्कीइंग उद्योग को बुरी तरह प्रभावित किया है। इस वर्ष गर्मियों में यूरोप और रूस से आने वाले अधिकांश स्कीयर्सो ने अपना बुकिंग निरस्त करा लिया है।
हिमालयन हेली एडवेंचर्स प्रालि के महानिदेशक मनजीव भल्ला ने आईएएनएस को बताया कि यूरोप में आर्थिक सूनापन और रूबल में गिरावट ने विदेशी पर्यटकों की संख्या घटा दी है।
पश्चिमी हिमालय में हेलीस्कीइंग कराने वाली कंपनी इस कस्बे की देखरेख में 1990 से जुटी है।
स्कीयर्स को हेलीकाप्टर से हमता, ब्रिघू, देव टिब्बा और रोहतांग पहाड़ी शिखरों तक यह कंपनी ले जाती है। आम तौर इन शिखरों तक पहुंचना असंभव है और कंपनी सुंदर देवदार और देवदार वन की वैविध्यता को सूरज के साथ और सूर्यास्त के बाद दर्शन कराने की पेशकश करता है।
स्की के दौड़ने की जगह तक पहुंचने में मनाली से 10 से 15 मिनट का समय लगता है।
यहां इस खूबसूरती का मौसम फरवरी से मार्च तक का है। पिछले सत्र के मुकाबले बुकिंग में 50 से 60 फीसदी तक की कटौती हुई है। पिछले वर्ष भी सत्र कमजोर ही था।
भल्ला ने कहा कि स्कीइंग का करोबार आठ से नौ सप्ताह का होता था और यह छह सप्ताह सिमट कर रह गया।
उन्होंने कहा, “पिछले वर्ष हमें 112 स्कीयर्स मिले थे और हम इस वर्ष करीब 50 ही पा सके हैं।”
भारतीय स्कीइंग कारोबार को सबसे बड़ा खतरा रूस से है।
उन्होंने कहा, “रूबल में गिरावट से यहां के पैकेज का खर्च बढ़ गया और वहां विदेश यात्रा पर पाबंदी लगा दी गई है।”
उन्होंने बताया कि दूसरा प्रभाव यूनान का वित्तीय संकट का प्रभाव है जिससे पूरे यूरोप में संकट और अनिश्चितता उत्पन्न हो गई है। लोग खर्च नहीं करना चाहते और पैसे बचाने के लिए घर पर ही रुकना पसंद करते हैं।
हेलीस्कीइंग में 25 वर्षो का अनुभव रखने वाली कंपनी ने 1996 और 2006 के बीच अच्छा करोबार किया। यह समय वैश्विक आर्थिक मंदी से पूर्व का समय था।
वर्तमान में कंपनी प्रति व्यक्ति 7,575 यूरो (534,513 रुपये) शुल्क वसूलती है। यह राशि सात दिनों के लिए ली जाती है। यह राशि भारतीय स्कीयर्स के लिए अत्यंत खर्चीला है।
इसके बाद जम्मू एवं कश्मीर के गुलमर्ग और उत्तराखंड में अउली का नंबर आता है।
इस वर्ष मनाली के ढलानों पर गुलमर्ग और अउली के मुकाबले बर्फ ज्यादा है।
एक टूर आपरेटर ने कहा कि विदेशियों में मुख्यरूप से रूस के होते हैं और इस वर्ष के जाड़े में वे गोवा में भी नहीं हैं।