टोरंटो, 15 फरवरी (आईएएनएस)। टाइप 2 मधुमेह के कारण व्यक्ति अच्छा जीवन नहीं जी पाता और अब शोधकर्ताओं ने पाया है कि यह मस्तिष्क की खास क्षमताओं को भी घटा सकता है।
शोध के मुताबिक, टाइप 2 मधुमेह से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर बुरा असर पड़ता है। इसमें भावनाओं पर नियंत्रण, व्यवहार और विचार आदि शामिल हैं।
कनाडा में वाटरलू विश्वविद्यालय से संबद्ध शोध के मुख्य लेखक कॉरी विन्सेंट के मुताबिक, “मस्तिष्क के कामकाज का यह पहलू विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि जब भी हम अपनी स्वाभाविक प्रवृत्ति के विपरीत कोई काम करने का प्रयास करते हैं या हमें ऐसा करने के लिए बाध्य होना पड़ता है तो हम पूर्ण रूप से मस्तिष्क पर निर्भर होते हैं।”
इस शोध के लिए शोधकर्ताओं ने 70 शोधों की समीक्षा की है, जिसमें टाइप 2 मधुमेह के 9,815 मरीजों की तुलना मधुमेह के अन्य 69,254 मरीजों से की गई और उनके मस्तिष्क की प्रमुख गतिविधियों को मापा गया।
वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और वरिष्ठ लेखक पीटर हॉल के मुताबिक, “सामान्य रूप से टाइप 2 मधुमेह के मरीजों में दोहरी बाधाओं की वजह से मस्तिष्क गतिविधियों के नियंत्रण की अधिक जरूरत हो सकती है। संभावित रूप से ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इस बीमारी का मस्तिष्क पर असर पड़ता है।”
विश्व में लगभग 60.0 करोड़ लोग टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित हैं और 2030 तक ऐसे लगभग 80.0 करोड़ मामले सामने आने की संभावना है।
हॉल के मुताबिक, “ऐरोबिक व्यायाम और मस्तिष्क संबंधी व्यायामों और क्रियाओं जैसे नई चीजें सीखना, मुश्किल पहेलियों को हल करने और अन्य समस्या के समाधान संबंधित गतिविधियों को हल करने से मस्तिष्क को तेज रखने में मदद मिल सकती है।”
यह अध्ययन ‘साइकोसोमैटिक मेडिसीन’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।