धर्मशाला, 11 फरवरी (आईएएनएस)। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा में अपनी मातृभूमि के प्रति अब भी बहुत तड़प है। उन्होंने कहा कि तिब्बत में तिब्बतियों में अभी बहुत साहस है।
79 वर्षीय धर्मगुरु ने यह टिप्पणी मंगलवार को नॉर्वे में ट्रॉनहैम में अपने समुदाय के साथ बातचीत के दौरान की।
उन्होंने चीनी लोगों को याद दिलाते हुए कहा कि जैसे वे अपनी संस्कृति से प्यार करते हैं, तिब्बती लोग भी उनकी संस्कृति से प्यार करते हैं और इसका संरक्षण चाहते हैं। दलाई लामा ने कहा, “चीन के लोग भी नालंदा परंपरा का पालन करते हैं, लेकिन उतनी कड़ाई से नहीं जितनी से हम करते हैं।”
दलाई लामा की आधिकारिक वेबसाइट ने उनके हवाले से कहा, “जहां आज युवा चीनी लोग अपने शास्त्रीय बौद्ध ग्रंथों को पढ़ तक नहीं सकते, हम विविध दार्शनिक दृष्टिकोण से उनका विस्तारपूर्वक वर्णन कर सकते हैं। यह गर्व की बात है।”
तिब्बत के लिए अहिंसक संघर्ष अभियान चलाने के लिए दलाई लामा को 1989 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।