थिंपू, 11 फरवरी (आईएएनएस)। जलवायु परिवर्तन के कारण खाद्य सुरक्षा पर मंडरा रहे खतरे से निपटने में भूटान अपने सशक्त बीज बैंक के बल पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यहां चावल की ऐसी 300 किस्में हैं, जिन्होंने विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों में खुद को जीवित रखा है।
थिंपू, 11 फरवरी (आईएएनएस)। जलवायु परिवर्तन के कारण खाद्य सुरक्षा पर मंडरा रहे खतरे से निपटने में भूटान अपने सशक्त बीज बैंक के बल पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यहां चावल की ऐसी 300 किस्में हैं, जिन्होंने विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों में खुद को जीवित रखा है।
भूटान के राष्ट्रीय पर्यावरण आयोग (एनईसी) के सचिव उग्येन शेवांग ने आईएएनएस से कहा, “हमारा राष्ट्रीय जीन बैंक निश्चित रूप से जलवायु परिवर्तन से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, क्योंकि उसके पास सभी स्वदेशी किस्म के बीज हैं। उदाहरण के लिए 300 से अधिक चावल की किस्में हैं और मक्के और अन्य प्रमुख फसलों की भी कई किस्में हैं।”
उन्होंने कहा, “स्थानीय किस्में अधिक मजबूत होती हैं, क्योंकि वे समय की परीक्षा पर खरे उतरे हैं और बर्फीले, ठंडे अैर गर्म कई तरह की स्थानीय मौसमी परिस्थितियों से गुजरे हैं।”
वह ‘वैश्विक जलवायु परिवर्तन : जोखिम घटाना और लचीलापन बढ़ाना’ विषय पर एशिया-पैसिफिक नेटवर्क (एपीएन) फॉर ग्लोबल चेंज रिसर्च और भूटान सरकार द्वारा आयोजित एपीएन द्वितीय विज्ञान नीति वार्ता, दक्षिण एशिया के इतर मौके पर बोल रहे थे।
जीन बैंक की स्थापना 2005 में हुई थी और उसके पास 1,268 प्रकार के अनाज, फलियां, तिलहन तथा सब्जियां पंजीकृत हैं।
शेवांग ने बतया कि भूटान ने जीन संवर्धित फसलों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी है।
आधिकारिक अनुमान के मुताबिक देश में 350 किस्म की के चावल, 40 से अधिक प्रकार का मक्का, 24 प्रकार के गेहूं और 30 प्रकार के जौ की किस्में मौजूद हैं।
भूटान में भी जलवायु परिवर्तन के प्रभाव देखे जा रहे हैं। इन प्रभावों में हिमनद के अचानक पिघलने से पैदा होने वाली बाढ़, अनिश्चित मानसून जैसे संकेत शामिल हैं।
1994 में हिमनद के अचानक पिघलने की वजह से आई बाढ़ के कारण 94 परिवार प्रभावित हुए थे और 16 टन अनाज बह गया था।
इसके दो साल बाद फफूंदी के कारण 80 फीसदी चावल बर्बाद हो गया था।
भूटान के कृषि और वन मंत्रालय के उप प्रमुख तेंजिन द्रुग्येल ने आईएएनएस से कहा, “2004 में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन देखा गया। नए प्रकार के कीड़े और रोग का सामना करना पड़ा।”
कृषि और वन मंत्रालय के सेक्टर एडेप्टेशन ऑफ प्लान ऑफ एक्शन (एसएपीए) के मुताबिक 2050 तक भूटान को तापमान में 3.5 डिग्री वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है।
इसके अलावा बारिश में काफी वृद्धि हो सकती है।
‘कम्युनिटी पर्सपेक्टिव्स ऑन द ऑन-फार्म डावर्सिटी ऑफ सिक्स मेजर सीरियल्स एंड क्लाइमेट चेंज इन भूटान’ रिपोर्ट में कहा गया हैकि पारंपरिक किस्मों पर शोध किया जाना चाहिए।
यह रिपोर्ट 27 जनवरी को प्रकाशित हुई थी।