मुंबई, 9 फरवरी (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को कहा कि उसने बैंकों को संपत्ति की गुणवत्ता सुधारने और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में कटौती करने के लिए सतर्क किया है।
हाल में बैंकों का एनपीए काफी बढ़ गया है।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर आर. गांधी ने संवाददाताओं से कहा कि वैश्विक वित्तीय संकट के बाद संपत्ति की गुणवत्ता हमेशा चिंता का विषय बना रहा है।
गांधी ने कहा, “हम बैंकों को तनाव युक्त संपत्ति बढ़ने पर लगातार सतर्क करते रहे हैं और उसे वापस हासिल करने में उन्हें सहयोग करते रहे हैं।”
आर्थिक सुस्ती, उच्च ब्याज दर के कारण बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता का क्षरण हुआ है तथा एनपीए का दबाव बढ़ा है।
मूडीज की विश्लेषक कंपनी आईसीआर ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि बैंकों की सकल गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (जीएनपी) 2013-14 में कुल ऋण का 3.9 फीसदी थी, जिसके 2014-15 में बढ़कर 4-4.2 फीसदी हो जाने का अनुमान है।
2013-14 के मध्य में बुरा और सरल ऋण समग्र ऋण का 10 फीसदी से अधिक हो गया था, जिसके 2014-15 के आखिर तक 15 फीसदी तक हो जाने का अनुमान है।
वित्त मंत्री ने पहले बताया था कि बुरा ऋण हासिल करने के लिए बैंक कई कदम उठा रहे हैं।
जेटली ने लोकसभा में प्रश्नकाल में कहा था, “बैंकों के लिए 2-3 फीसदी एनपीए आम बात है। लेकिन गत 2-3 साल में एनपीए बढ़कर छह फीसदी तक पहुंच चुका है। तनावयुक्त संपत्ति का अनुपात भी बढ़ा है।”