नई दिल्ली-भारत सरकार ने सितंबर में जनगणना प्रक्रिया शुरू करने का फैसला लिया है। ये जनगणना 2021 में होने वाली थी लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दी गई। जनगणना, जो हर दस साल में होती है, अब 2024 में शुरू होगी और इसका फाइनल रिपोर्ट मार्च 2026 तक आने की उम्मीद है।
दरअसल, हर दस साल में देश में जनगणना होती है।पिछली जनगणना 2011 में हुई थी इस हिसाब से अगली जनगणना 2021 में पूरी हो जानी चाहिए थी। लेकिन सरकार ने तर्क दिया कि कोविड के कारण ये नहीं हो पाई। हालांकि, कोविड का असर खत्म हुए भी कई साल हो गए। इस बीच पूरे देश में चुनाव भी हो गए। लेकिन सरकार जनगणना कराने से बचती रही। इसे लेकर मोदी सरकार की चौतरफा आलोचना भी होती रही। विपक्ष ने जातिगत जनगणना कराने का वादा किया था।
बहरहाल, सरकार को अब न चाहते हुए भी जनगणना कराना पड़ रहा है। हालांकि, इस बार जनगणना के लिए बजट में भारी कटौती की गई है। सरकार ने 2024-25 के बजट में जनगणना के लिए केवल ₹1,309 करोड़ आवंटित किए हैं, जो कि 2021-22 में निर्धारित ₹3,768 करोड़ से काफी कम है।
जनगणना में देरी को लेकर कई अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं ने चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि इससे विभिन्न सांख्यिकीय सर्वेक्षणों की क्वालिटी प्रभावित हुई है, जैसे कि आर्थिक डेटा, महंगाई और रोजगार के अनुमान। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी इस पर टिप्पणी की है कि ये स्वतंत्रता के बाद पहली बार है जब सरकार ने समय पर जनगणना नहीं करवाई।
बता दें कि 1.4 अरब की आबादी वाले देश में जनगणना का सही समय पर होना इसलिए जरूरी है क्योंकि नीति निर्माता अभी भी 2011 के आंकड़ों के आधार पर योजनाएं बना रहे हैं। सरकारी योजनाएं और कार्यक्रम जनगणना के आंकड़ों पर निर्भर करते हैं, और वर्तमान में अधिकतर डेटा सेट 2011 की जनगणना पर आधारित हैं, जिससे कई योजनाएं कम प्रभावी हो गई हैं।