न्यूयार्क, 6 फरवरी (आईएएनएस)। ह्यूमन राइट वाच ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय अधिकारी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किन्नरों पर दिए गए आदेश को पूरी तरह अमलीजामा पहनाएं। सर्वोच्च न्यायालय ने किन्नरों के अधिकारों की रक्षा करने और उनकी मदद करने व उनसे भेदभाव और उनका दमन खत्म करने का आदेश दिया था।
न्यूयार्क, 6 फरवरी (आईएएनएस)। ह्यूमन राइट वाच ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय अधिकारी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किन्नरों पर दिए गए आदेश को पूरी तरह अमलीजामा पहनाएं। सर्वोच्च न्यायालय ने किन्नरों के अधिकारों की रक्षा करने और उनकी मदद करने व उनसे भेदभाव और उनका दमन खत्म करने का आदेश दिया था।
अमेरिकी मानवाधिकार संगठन ने एक बयान में कहा है कि अधिकारियों को हाल के दिनों में पुलिस द्वारा किन्नरों का कथित रूप से उत्पीड़ित करने की घटना की विश्वसनीय जांच करनी चाहिए।
अप्रैल 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी थी कि लोगों को किन्नरों को तीसरे लिंग के रूप में मान लेना चाहिए और केवल सभी बुनियादी अधिकार तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि शिक्षा एवं रोजगार में विशेष लाभ भी मिलना चाहिए।
ह्यूमन राइट वाच ने कहा है, “भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष अंतत: किन्नरों को मतदान का, शिक्षा प्राप्त करने या रोजगार पाने के अधिकार को स्वीकार किया।”
मानवाधिकार संगठन ने कहा है, “अब यह अधिकारियों पर है कि वे उन लोगों के खिलाफ मामला चलाकर सर्वोच्च न्यायालय की व्यवस्था लागू करें जिन्होंने किन्नरों को सम्मान के साथ और बगैर तकलीफ के जीने का अधिकार नहीं दे कर उन्हें निशाना बनाया।”
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के करीब एक वर्ष बाद उसे अमलीजामा पहनाने का काम रुका हुआ है। ह्यूमन राइट वाच ने कहा है कि यहां तक कि किन्नर समुदाय पर हाल के हमले से उनकी अतिसंवेदनशीलता उजागर होती है लेकिन फैसला अमल में लाया जाना शेष है।
संगठन ने कहा कि भारतीय दंड विधान की धारा 377 के अनुसार परिपक्व वयस्कों के बीच समलैंगिक संबंध आपराधिक है और इससे किन्नर और होमोसैक्सुअल पुलिस प्रताड़ना, दोहन और उत्पीड़न की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील हैं।