पटेल नगर-भोपाल स्थित इस्कॉन मंदिर द्वारा 13 जुलाई, शनिवार को, बारहवीं बार, विश्व प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव मनाया जा रहा है।
शहर के मुख्य मार्गों से निकलने वाली यह रथयात्रा, भोपाल टॉकीज से सायं 4 बजे प्रारंभ होगी। यह यात्रा हमीदिया रोड, भारत टाकीज, रोशनपुरा चौराहा से होते हुए, माता मंदिर के पास प्लेटिनम प्लाजा पर समापन होगा। यात्रा में लगभग 20 हजार भक्तों के सामिल होने की संभावना है। यात्रा में भाग लेने हेतु होने देश-विदेश से भी भक्तगण पधारेंगे ।
रथयात्रा में होंगे दिव्य दर्शन –
इस बार रथयात्रा हेतु एक भव्य रथ का निर्माण किया गया है। इसकी बनावट पुरी में स्थित श्री जगन्नाथ भगवान के नंदीघोष रथ के आधार पर की गई है। भगवान श्री जगन्नाथ, बलदेव एवं सुभद्रा महारानी रथ में विराजमान होंगे।
श्रद्धालु अपने हाथों से खीचेंगे रथ –
रथयात्रा के दौरान, श्रद्धालु अपने हाथों से रस्सी द्वारा रथ को खींचेंगे। पूरे रथयात्रा के समय पारंपरिक हरे कृष्ण महामंत्र का संकीर्तन तथा प्रसाद वितरण होता रहेगा। अलग अलग स्थान पर भगवान की आरती की जाएगी। श्री भगवान को 151 विशेष भोग अर्पण होंगे। मंदिर के गृहस्थ भक्तों द्वारा 500 किलो खाजा प्रसाद बनाया गया है, जो यात्रा के समय जन साधारण में वितरित किए जाएंगे। भगवान जगन्नाथजी की संध्या आरती के साथ उत्सव का समापन होगा और उसके उपरांत 5000 भक्तों के लिए महाप्रसाद का आयोजन किया गया है।
3 माह में तैयार हुआ विशेष रथ –
रथयात्रा के लिए एक विशेष रथ का निर्माण 3 माह की अवधि में किया गया है। रथ की ऊंचाई 27 फीट, चौड़ाई 17 फीट और लंबाई 24 फीट है। रथ का फाउंडेशन लोहे से एवं बेस और कैनोपी के लिए सागौन की काष्ठ का उपयोग किया गया है। जिसमें लगभग 2 टन लोहा और 50 घन फिट सागौन की काष्ठ लगी है। लकड़ी पर सुंदर नक्कासी एवं कैनोपी में कपड़े का कार्य भी मनमोहक होगा। रथ में काष्ठ से बने 6 फिट के विशालकाय पहिया लगे हैं । रथ की उच्चता को हाइड्रोलिक लीवर के माध्यम से कम या ज्यादा किया जा सकता है।
रथयात्रा का महत्व
श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा उत्सव हजारों हज़ारों वर्ष पुरानी परंपरा है। इसका वर्णन स्कंध पुराण, पद्म पुराण तथा अन्य कई पुराण में मिलता है। शास्त्र में वर्णन है, कि रथारूढ़ भगवान जगन्नाथ के दर्शन मात्र से जीव जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।
रथयात्रा के आंतरिक मर्म
रथयात्रा एक विशेष उत्सव है, जहां स्वयं भगवान अपने भक्तों की प्रसन्नता के लिए, उनसे प्रेम की आदान प्रदान करने हेतु, मंदिर के बाहर दर्शन देने आते हैं। उनके दिव्य दर्शन पाकर भक्त तृप्त होते हैं और भगवान की शुद्ध प्रेमभक्ति और सेवा के लिए प्रार्थना करते हैं।
इस्कॉन संस्था द्वारा पूरे विश्व में रथयात्रा
आज विश्व के हर देश, हर बड़े शहरों में श्री जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव मनाया जाता है। इसका विशेष श्रेय अंतराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) के संस्थापक आचार्य अभय चरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद जी को जाता है। जिन्होंने पहली बार भारत के बाहर, अमेरिका के सानफ्रांसिस्को सहर में सन् 1967 में रथयात्रा उत्सव का आयोजन किया था। आज इस्कॉन संस्था द्वारा प्रति वर्ष विश्व भर में 1000 से भी अधिक शहरों में रथयात्रा उत्सव का आयोजन होता है।, जिसके माध्यम से भारत की वैदिक व आध्यात्मिक मूल्यों का प्रचार होता है।