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 नए आपराधिक कानूनों में क्या-क्या बदला?बुजुर्गों-दिव्यांगों को थाने जाने से छूट | dharmpath.com

Friday , 22 November 2024

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नए आपराधिक कानूनों में क्या-क्या बदला?बुजुर्गों-दिव्यांगों को थाने जाने से छूट

July 1, 2024 5:32 pm by: Category: प्रशासन Comments Off on नए आपराधिक कानूनों में क्या-क्या बदला?बुजुर्गों-दिव्यांगों को थाने जाने से छूट A+ / A-

नई दिल्ली:देश भर में आज से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं. इसके साथ ही अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे पुराने कानून अब गुजरे जमाने की बात हो गई. नए कानून ने भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने IPC (1860), CRPC (1973) और एविडेंस एक्ट (1872) की जगह ली है. दिल्ली में एक स्ट्रीट वेंडर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) के तहत देश का पहला केस दर्ज भी किया जा चुका है.

तीन नए कानून कौन-कौन से हैं? (Three new criminal laws come into force today)
भारतीय न्याय संहिता (BNS)
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)

देश में लागू हुए नए कानूनों के मुताबिक, अब देश का कोई भी व्यक्ति देश के किसी भी थाने में जीरो FIR दर्ज करा सकता है, भले ही अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं हुआ हो.
नए कानूनों के तहत अब FIR दर्ज कराने के लिए व्यक्तिगत रूप से थाने जाने की भी जरूरत नहीं होगी. फोन या मैसेज के जरिए भी अब ये काम हो सकेगा. इससे मामला दर्ज कराना आसान और तेज हो जाएगा साथ ही पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई की जा सकेगी.
न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं, 15 साल की आयु से कम उम्र के लोगों, 60 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों, दिव्यांग या गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को पुलिस थाने आने से छूट दी जाएगी और वे अपने निवास स्थान पर ही पुलिस सहायता प्राप्त कर सकते हैं.
नए कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे.
बलात्कार पीड़िताओं का बयान कोई महिला पुलिस अधिकारी उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज करेगी और मेडिकल रिपोर्ट सात दिन के भीतर देनी होगी.
नये कानूनों में संगठित अपराधों और आतंकवाद के कृत्यों को परिभाषित किया गया है. राजद्रोह की जगह देशद्रोह लाया गया है और सभी तलाशी तथा जब्ती की कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराना अनिवार्य कर दिया गया है.
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है. किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है और किसी नाबालिग से सामूहिक बलात्कार के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा गया है.
भारतीय न्याय संहिता में कुल 358 धाराएं हैं, जबकि पहले IPC में 511 धाराएं थीं. ‘ओवरलैप’ धाराओं का आपस में विलय कर दिया गया है.
शादी का झूठा वादा करने, नाबालिग से दुष्कर्म, भीड़ द्वारा पीटकर हत्या करने, झपटमारी आदि मामले दर्ज किए जाते हैं, लेकिन मौजूदा भारतीय दंड संहिता में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं थे. भारतीय न्याय संहिता में इनसे निपटने के लिए प्रावधान किये गए हैं.
नये कानून में जुड़ा एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार दिया गया है. इससे गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत सहयोग मिल सकेगा. इसके अलावा, गिरफ्तारी विवरण पुलिस थानों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा, जिससे गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार और मित्र जरूरी सूचना आसानी से पा सकेंगे.
नये कानूनों में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गई है, जिससे मामले दर्ज किए जाने के 2 महीने के भीतर जांच पूरी की जाएगी. नये कानूनों के तहत पीड़ितों को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा.
नये कानूनों में, महिलाओं व बच्चों के साथ होने वाले अपराध पीड़ितों को सभी अस्पतालों में निशुल्क प्राथमिक उपचार या इलाज मुहैया कराया जाएगा. यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि पीड़ित को आवश्यक चिकित्सकीय देखभाल तुरंत मिले.
नये कानूनों में सभी राज्य सरकारों के लिए गवाह सुरक्षा योजना लागू करना अनिवार्य है ताकि गवाहों की सुरक्षा व सहयोग सुनिश्चित किया जाए और कानूनी प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता व प्रभाव बढ़ाया जाए.

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