नई दिल्ली :पाकिस्तानी आतंकवादी की दया याचिका को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को खारिज कर दिया. राष्ट्रपति द्वारा 25 जुलाई 2022 को पदभार ग्रहण करने के बाद खारिज की गई यह दूसरी दया याचिका है.
अधिकारियों ने राष्ट्रपति सचिवालय के 29 मई के आदेश का हवाला देते हुए बताया कि 15 मई को आरिफ की दया याचिका प्राप्त हुई थी. जिसे इस साल 27 मई को खारिज कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा बरकरार रखते हुए कहा- कि आरिफ के पक्ष में कोई भी ऐसा साक्ष्य नहीं था, जिससे उसके अपराध की गंभीरता कम होती हो. शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि लाल किले पर हमला देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए सीधा खतरा था.
घुसपैठियों ने 22 दिसंबर 2000 को लाल किला परिसर में तैनात 7 राजपूताना राइफल्स की इकाई पर गोलीबारी की थी, जिसके परिणामस्वरूप तीन सैन्यकर्मी मारे गए थे. पाकिस्तानी नागरिक और प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के सदस्य आरिफ को हमले के चार दिन बाद दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था.
कोर्ट 2022 के आदेश में कहा गया था, अपीलकर्ता-आरोपी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक एक पाकिस्तानी नागरिक था और उसने अवैध रूप से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया था. आरिफ को अन्य आतंकवादियों के साथ मिलकर हमले की साजिश रचने का दोषी पाया गया और अधीनस्थ अदालत ने अक्टूबर 2005 में उसे मौत की सजा सुनाई. दिल्ली हाई कोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय ने बाद की अपीलों में इस फैसले को बरकरार रखा.