नई दिल्ली-सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर एक याचिका के बाद मौजूदा लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों के प्रमाणिक (और अंतिम) मतदान प्रतिशत के खुलासे पर भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से जवाब मांगा. याचिका में कहा गया है कि मतदान समाप्ति के तुरंत बाद जारी अस्थायी मतदान प्रतिशत के मुकाबले अंतिम मतदान प्रतिशत के आंकड़ों में 6% की वृद्धि देखी गई.
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव आयोग को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है और मामले को छठे चरण के मतदान की पूर्व संध्या 24 मई को सुनवाई के लिए निर्धारित किया है, और आयोग से आंकड़े तुरंत अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने में असमर्थता का कारण बताने को कहा है.
याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण द्वारा प्रस्तुत याचिका में कहा गया है कि 19 और 26 अप्रैल को दो चरणों के लिए मतदान समाप्त होने के तुरंत बाद, ईसीआई ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अनुमानित मतदान प्रतिशत के आंकड़े जारी किए, जो पहले चरण में 60% और दूसरे चरण में शाम 7 बजे तक 60.96% थे. इसके बाद, 30 अप्रैल को प्रकाशित संशोधित आंकड़ों में दोनों चरणों के लिए कुल मतदान के आंकड़े 66.14% और 66.71% रहे, जो लगभग 6% की वृद्धि दिखाते थे.
मतदान प्रतिशत आमतौर पर अंतिम मतदान प्रतिशत जारी होने के बाद बढ़ता ही है क्योंकि मतदान दलों को भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण इलाकों में स्थित दूर-दराज के मतदान केंद्रों से लौटने में समय लगता है, जो अन्य चीजों के अलावा मौसम की स्थिति पर भी निर्भर करता है. डेटा अपडेट करने में देरी किसी निर्वाचन क्षेत्र में पुनर्मतदान के कारण भी हो सकती है. हालांकि, इस बार अंतराल अधिक रहा है.
अदालत ने चुनाव आयोग के वकील से अगली तारीख पर निर्देश लेकर आने को कहा. साथ ही, अदालत ने आयोग से पूछा कि मतदान प्रतिशत के आंकड़े वेबसाइट पर अपलोड करने में देरी क्यों हुई?