लखनऊ:जौनपुर लोकसभा सीट इस बार हॉट हो गई है. भाजपा प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह महाराष्ट्र में कांग्रेस सरकार में गृह राज्यमंत्री रह चुके हैं और बाबू सिंह कुशवाहा भी बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. वहीं, धनंजय सिंह 2009 में बसपा के टिकट पर जौनपुर के सांसद रह चुके हैं. अबकी बार उनकी पत्नी श्रीकला रेड्डी मैदान में हैं जो जौनपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष हैं.
धनंजय सिंह के जेल जाने के बाद यह माना जा रहा था कि श्रीकला रेड्डी को अकेले दम पर चुनाव लड़ने में दिक्कतें आएंगी. लेकिन जौनपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष ने जिस तरह से क्षेत्र का भ्रमण शुरू किया और जिस तरह से जातीय समीकरण टूटने लगे और उन्हें हर वर्ग का समर्थन मिलने लगा, उससे यह साफ होने लगा कि लड़ाई भाजपा-सपा में नहीं बल्कि त्रिकोणीय है.
जेल से रिहा होने के बाद धनंजय सिंह का जौनपुर में जिस तरह से गाजे-बाजे के साथ स्वागत किया गया और उनका सधा हुआ अंदाज बहुत कुछ बयां कर गया. जौनपुर में धनंजय सिंह की छवि बाहुबली और रॉबिन हुड की है. धनंजय सिंह कहते हैं कि हम किसी जाति की राजनीति नहीं करते हैं. हम आवाम की राजनीति करते हैं. हम सभी की भलाई के लिए काम करते हैं. जिससे हमें उम्मीद है कि हर वर्ग का समर्थन मिलेगा और जीत हमारी होगी.
कृपाशंकर सिंह को जौनपुर की जनता अपना नहीं पा रही है. उनकी पार्टी के ही लोग उन्हें बाहरी बता रहे हैं. इनके साथ एक बात और भी है कि जो कार्यकर्ता काफी समय से पार्टी के लिए काम कर रहे थे, तो अचानक मुंबई से लाकर कृपाशंकर सिंह को टिकट दे दिया गया, जिससे पार्टी के अंदर काफी मनमुटाव की खबरें आ रही हैं. पुराने कार्यकर्ता अंदर ही अंदर विरोध कर रहे हैं.
बाबू सिंह कुशवाहा को समाजवादी पार्टी ने भले ही टिकट दिया है. लेकिन उनके साथ बेस वोट तो है, लेकिन धनंजय सिंह की छवि के आगे हो सकता है कि उनके बेस वोट में भी सेंध न लग जाए, क्योंकि श्रीकला रेड्डी जो जिला पंचायत अध्यक्ष है वो हर वर्ग का काम कर रही हैं. इनमें मुस्लिम-यादव सभी लोग शामिल हैं. यही सपा का बेस वोट है. साथ ही बाबू सिंह कुशवाहा के भी बाहरी होने से यहां के सपाइयों में बहुत ज्यादा जोश नहीं देखा जा रहा है. बहुत से कार्यकर्ता इस बात से नाराज देखे जा रहे हैं कि उन्हें कोई तवज्जो नहीं दी जा रही है. गिने-चुने लोग उन्हें गाइड कर रहे हैं. साथ ही क्षेत्र में आमद भी कम बताई जा रही है. अगर बाबू सिंह कुशवाहा चंद लोगों से घिरे रहे तो उनके लिए जौनपुर जंजाल बन जाएगा और चुनाव जीतना उनके लिए काफी मुश्किल हो सकता है.