नई दिल्ली: चुनाव आयोग के नए खुलासे से पता चलता है कि केंद्र सरकार ने 2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों से ठीक पहले चुनावी बॉन्ड नियम तोड़कर सत्तारूढ़ दल भाजपा को ऐसे बॉन्ड भुनाने की त्वरित अनुमति दे दी थी, जिनकी समयसीमा समाप्त (एक्सपायर-Expire) हो चुकी थी.
रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने अपनी एक रिपोर्ट इस संबंध में जानकारी दी है. इसने बताया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लोगों के एक्सपायर हो चुके बॉन्ड को भुनाने के लिए बैंक में पहुंचने के बाद दिवंगत भाजपा नेता अरुण जेटली के नेतृत्व वाले केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को 10 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड स्वीकार करने के लिए मजबूर किया था.
कमोडोर लोकेश बत्रा (सेवानिवृत्त) द्वारा प्राप्त आधिकारिक रिकॉर्ड के आधार पर रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने 2019 में भी अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि एसबीआई ने बॉन्ड भुनाने के लिए कानूनी रूप से अनिवार्य 15 दिन की अवधि बीत जाने के दो दिन बाद एक अज्ञात राजनीतिक दल को 10 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड भुनाने की अनुमति दी थी.
कलेक्टिव का कहना है कि 2019 में जब उसने इस संबंध में रिपोर्ट की थी तो उसे पता नहीं था कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय की उदारता का किस राजनीतिक दल ने लाभ उठाया है.
कलेक्टिव द्वारा दिए गए तत्कालीन विवरण और मौजूदा खुलासे को एक साथ देखने पर पता चलता है कि ‘भाजपा 23 मई 2018 को एसबीआई की दिल्ली शाखा में एक्सपायर बॉन्ड लेकर गई थी. एसबीआई की दिल्ली शाखा, मुंबई में इसके कॉरपोरेट मुख्यालय और केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के बीच सुपरफास्ट पत्राचार की एक श्रृंखला के बाद सरकार के आदेश पर एक्सपायर्ड बॉन्ड भाजपा द्वारा भुना लिए गए थे.’