नई दिल्ली-संसद से बाहर निकल कर महुआ मोइत्रा ने संवाददाताओं से बात की और इस पूरे मामले पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की. उन्होंने कहा कि “मोदी सरकार ऐसा कर के मेरा मुंह नहीं बंद करा सकती.”जाते-जाते उन्होंने मीडिया से कहा कि वो अगले लोकसभा चुनावों में खड़ी होंगी.
लेकिन अब राजनीति में उनके भविष्य को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं और कयास लगाए जा रहे हैं कि वो अब आगे क्या करेंगी.
एथिक्स कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने का सुझाव दिया था. लोकसभा स्पीकर ने कहा कि कमेटी की सिफ़ारिश से सदन सहमत है.
इस रिपोर्ट पर बहस कराए जाने और महुआ मोइत्रा को लोकसभा में अपनी बात रखने की मांग को लोकसभा स्पीकर ने ये कहते हुए ठुकरा दिया कि उन्हें पैनल की बैठक के दौरान अपना पक्ष रखने का मौका मिल चुका है.
इससे पहले दोपहर बाद एथिक्स कमेटी के चेयरमैन विनोद कुमार सोनकर ने जैसे ही रिपोर्ट पेश की, कांग्रेस और टीएमसी के सदस्य अध्यक्ष के आसन के करीब पहुंच गए और नारे लगाते हुए रिपोर्ट की प्रति दिए जाने की मांग की.
टीएमसी के सदस्य कल्याण बनर्जी ने रिपोर्ट की सिफ़ारिश पर वोटिंग से पहले बहस कराए जाने की मांग की. कमेटी ने मोइत्रा को सदन से निष्कासित करने की सिफ़ारिश की थी.
रिपोर्ट पेश होने के तुरंत बाद ही हंगामे के बीच अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे बीजेपी सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने सदन की कार्रवाई को दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया.
इस बीच लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीरंजन चौधरी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को चिट्ठी लिख कर अपील की है कि सदन में बहस के लिए सदस्यों को तीन चार दिन का वक्त दिया जाना चाहिए ताकि वे इसका अध्ययन कर सकें.
उन्होंने लिखा है, “मैं अपील करता हूं कि एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर बहस के लिए कम से कम तीन दिन बाद की तारीख और समय तय करें.”
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, ”जैसा कि अधीर रंजन ने कहा अगर हमने इस रिपोर्ट का संज्ञान लेने के लिए 3-4 दिन का समय दिया होता और फिर सदन के सामने अपनी राय रखी होती तो आसमान नहीं गिर जाता क्योंकि सदन एक बेहद संवेदनशील मामले पर फैसला लेने जा रहा है.”