कोलंबो, 3 फरवरी (आईएएनएस)। श्रीलंका सरकार ने मंगलवार को कहा कि अंतर्राष्ट्रीय युद्ध अपराधों की जांच से बचने में श्रीलंका में एक मजबूत न्यायपालिका मदद कर सकती है। ये युद्ध अपराध कथित रूप से सेना ने तमिल टाइगरों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान किए थे।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, विदेश मंत्री मंगल समरवीरा ने कहा कि सरकार के सामने दुनिया को यह विश्वास दिलाने की जरूरत है कि श्रीलंका की न्यायपालिका सक्षम, स्वतंत्र और पूर्वाग्रह से रहित है।
मंत्री ने कहा, “पिछले वर्ष शुरू हुई एक अंतर्राष्ट्रीय जांच वर्तमान में अब पूर्ण होने के करीब है।”
उन्होंने कहा, “न्यायिक विश्वसनीयता को बहाल करने के लिए ठोस कदम यदि शीघ्र नहीं उठाए गए तो इस जांच के परिणामस्वरूप श्रीलंका सशस्त्र बल और अन्य नागरिकों को एक अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण के सामने हाजिर होना पड़ सकता है।”
उन्होंने आगे कहा, “विश्वसनीय घरेलू तंत्र स्थापित करने में पूर्व का प्रशासन विफल रहा जिससे हमारी मौजूदा कठिनाई उत्पन्न हुई है।”
मानवाधिकार समूहों ने आरोप लगाया है कि तमिल टाइगरों को मई 2009 में परास्त कर देने वाली सेना ने युद्ध के अंतिम चरण में हजारों तमिल नागरिकों को मार गिराया।
मंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित करने की चुनौती है कि श्रीलंका आर्थिक प्रतिबंधों और दागदार प्रतिष्ठा से नहीं जूझ सकता है।
इसके अलावा विदेश मंत्री ने देश के विवादास्पद प्रधान न्यायाधीश मोहन पीरिस को हटाने के निर्णय का बचाव किया और कहा कि पीरिस ने न्यायिक आचरण के अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पूरी तरह उल्लंघन किया था।