लंदन, 3 फरवरी (आईएएनएस)। ग्रीस द्वारा जून 2011 में उठाए गए फिजूलखर्ची से निपटने के कदमों की वजह से वहां आत्महत्या के मामलों में तेजी आई है। ग्रीस में आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ने से 2012 में ग्रीस में आत्महत्या के मामले शीर्ष पर रहे हैं। यह जानकारी एक शोध के जरिए सामने आई है।
शोधकर्त्ताओं के मुताबिक, ग्रीस में जून 2011 से आत्महत्या के मामलों में लगातार इजाफा हुआ है। इसलिए 2012 में आत्महत्या के मामले बढ़ कर 30 साल के ऊपरी स्तर तक पहुंच गये हैं। गौरतलब है कि जून 2011 में ही सरकार ने देश का कर्ज कम करने के लिए मितव्ययिता कदम उठाए थे।
पिछले 30 सालों से चल रहे शोध के मुताबिक जून 2011 में आत्महत्या के कुल मामले 35 प्रतिशत से अधिक बढ़े हैं, जो 2011 के बाद की अवधि के दौरान और 2012 में भी जारी रहे। इस तरह यह प्रति माह औसतन 11.2 अतिरिक्त आत्महत्याओं के बराबर है।
शोधकर्त्ताओं ने संपदा और मितव्ययिता के प्रभाव का आकलन करने के लिए जनवरी 1983 से दिसंबर 2012 के बीच ग्रीस में प्रतिमाह हुई आत्महत्याओं की संख्या का पता लगाया है। इसके लिए शोधकर्त्ताओं ने हेलेनिक सांख्यिकीय प्रशासन के राष्ट्रीय मृत्यु प्रमाणीकरण आंकड़ों का इस्तेमाल किया।
शोध के मुताबिक 1983 से 2012 के बीच 11,505 लोगों ने आत्महत्या की है, जिनमें 9,079 पुरूष और 2,426 महिलाएं शामिल हैं।
शोधकर्त्ताओं के मुताबिक “ऐतिहासिक रूप से ग्रीस की विश्व में सबसे कम आत्महत्या दर होने के बावजूद यह समझा जाता है कि अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में ग्रीस पर वैश्विक वित्तीय संकट का सबसे ज्यादा असर पड़ा है।”
ग्रीस में बड़े आर्थिक संकट की वजह से उच्च बेरोजगारी, घरेलू कर्ज, व्यापक कल्याण, लाभ में कटौती और बेघरों की संख्या बढ़ी है। इससे तनाव बढ़ने और निराशा का भाव पैदा हो सकता है।
यह शोध ऑनलाइन पत्रिका ‘बीएमजे ओपन’ में प्रकाशित हुई है।