मप्र,छग,राजस्थान,तेलंगाना एवं मिजोरम में विधानसभा चुनाव हुए हमने चुनावों के पहले आम नागरिकों से चर्चा की,राजनैतिक विश्लेषकों की राय ली और अनुमान लगाया की कांग्रेस सभी जगह बढ़त पर है ,मप्र में पहले संघ का सर्वे सामने आया की भाजपा सिर्फ 50 सीटों पर आगे है या स्थिति जीतने लायक है बाद में भी वह स्थिति सुधरी नहीं लेकिन वोट डलते आखिर ऐसा क्या हुआ की भाजपा नेता और कुछ चैनल दावा करने लगे की भाजपा प्रचंड जीत हासिल करने जा रही है ?
यदि ऐसा हुआ तो हमेशा evm में गड़बड़ी के दावों को नकारने वाले हम लोग यह विश्वास कर लेंगे की evm को मैनेज किया जा सकता है,और यदि यह होता है तो भाजपा अकेली मप्र में ही नहीं राजस्थान को भी नहीं छोड़गी और सरकार बनाएगी लेकिन लोकतंत्र की क्या ह्त्या होगी ? या निष्पक्ष रिजल्ट आएंगे यह तो 3 दिसंबर को ही पता चलेगा अभी तक की मैदानी जानकारियों एवं आंकलनों का स्पष्ट संकेत है की भाजपा को स्पष्ट बहुमत तो नहीं है फिर ऐसा क्या खेल भाजपा खेल रही है।
आज तक चैनल पर जो एग्जिट पोल जो प्रसारित हुआ है उसे जिस कंपनी एक्सेस माय इंडिया ने तैयार किया है उसके सीईओ प्रदीप गुप्ता है। प्रदीप गुप्ता मूल रूप से मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के वारासिवनी के रहने वाले हैं। उनका पूरा परिवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से पिछले चार दशक से जुड़ा हुआ है। आरएसएस की शाखा में ही यह पले बढे हैं। उनकी कंपनी की फंडिंग की जांच की जाए तो पता चल जाएगा कि भाजपा से जुड़े लोग इसमें पैसा लगाते हैं।
कुल छह एजेंसियों में से चार अभी भी यह बता रहे हैं की या तो कांग्रेस की सरकार बन रही है या सरकार बनाने के काफी निकट है लेकिन दो ने बताया है की राजस्थान और मप्र में भाजपा बड़े बहुमत से सरकार बना रही है,इसके बाद भाजपा ने अपने नेताओं से सरकार बनाने के दावों पर योजनाबद्ध तरीके से बयान दिलवाने शुरू कर दिए हैं,सोचने वाली बात है की भाजपा अपनी छवि पर इतना बड़ा दाग क्यों लगने देगी यदि वो सरकार नहीं बना पाती है तब जनता में उसकी झूठ बोलने की छवि और पुख्ता होगी और यदि किये जा रहे दावों के अनुसार सरकार बना लेती है तो यह पुख्ता हो जाएगा की evm भाजपा के हाथों में है.
2024 में लोकसभा चुनाव भी होने हैं और इन चुनावों का प्रभाव लोकसभा चुनावों पर पड़ना तय है क्या यह रणनीति केंद्रीय भाजपा 2024 चुनावों के लिए तैयार कर रही है की इसकी आड़ में वह evm का खेला लोकसभा चुनावों में कर सके क्योंकि केंद्रीय चुनाव हारने का मतलब भाजपा का पराभव और नेताओं की सच्चाई सामने आना.
खैर जो भी सामने आना है दो दिनों में आ ही जाएगा लेकिन यह तय है की चुनावी खेल में भाजपा का कोई सानी नहीं।
अनिल कुमार सिंह “धर्मपथ” के लिए