11 भागों में विभाजित इस प्रदर्शनी में भारत में लोकतांत्रिक संस्थाओं के विकास को दर्शाया गया है। लोकतंत्र की शुरुआत को प्राचीन और मध्यकालीन युगों से दर्शाते हुए इस प्रदर्शनी में चित्रों, लेखों, चार्टो, प्रेस कतरनों इत्यादि के माध्यम से हमारे स्वतंत्रता आन्दोलन, भारत की संविधान सभा और हमारी संसद के कार्यकरण सहित आधुनिक भारत में लोकतांत्रिक प्रणाली का परिचय दिया गया है।
इस प्रदर्शनी में उत्तर प्रदेश राज्य विधान मण्डल पर विशेष बल देते हुए देश के विभिन्न राज्यों और संघ राज्य के बारे में भी जानकारी दी गई है। प्रदर्शनी में इम्पीरियल लेजिस्टलेटिव काउंसिल, कांउसिल ऑफ स्ट्टेस, सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली और संविधान सभा से सबंधित चित्र रखे गये हैं।
इसमें केन्द्र सरकार के गठन, अध्यक्ष पद के उद्गम और विकास तथा पीठासीन अधिकारियों और सचिवों के सम्मेलनों इत्यादि के महत्व को भी दर्शाया गया है।
इस प्रदर्शनी में कम्प्यूटर, मल्टीमीडिया सहित दृश्य-श्रव्य सामग्री भी शामिल की गई है। इसमें महात्मा गांधी, पं. जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, नेता जी सुभाषचन्द्र बोस, डा. बी.आर. अम्बेडकर और डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के भाषणों की रिकाडिर्ंग भी सुनी जा सकती है।
इसके साथ ही दर्शक भारत के संविधान की स्कैन की गई प्रति कम्प्यूटर पर देख सकते हैं। भारत की लोकतांत्रिक विरासत, विधायी सुधार, राज्य विधानमण्डलों के भवन तथा लोक सभा और राज्य सभा के कार्यकरण से संबंधित मल्टीमीडिया प्रस्तुतियां भी कम्प्यूटर पर उपलब्ध हैं।
भारत के स्वंत्रता आन्दोलन, आम चुनाव, लोक सभा अध्यक्ष के निर्वाचन से संबंधित चलचित्र तथा उन के बारे में एक वृत्त चित्र भी इस प्रदर्शनी में देखा जा सकता है।