नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (20 अक्टूबर) को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को ‘रिपब्लिक ऑफ इंडिया’ (भारतीय गणराज्य) के रूप में अदालत में अपनी याचिकाएं और हलफनामे दाखिल करने के लिए कड़ी फटकार लगाई.
हिंदुस्तान टाइम्स ने जस्टिस एएस ओका और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ के हवाले से लिखा, ‘आपने ‘रिपब्लिक ऑफ इंडिया’ के रूप में क्यों आवेदन दायर किया है? आप संघ (Union) या गणतंत्र (Republic) का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं. आप इस तरह अपनी याचिकाएं दायर नहीं कर सकते.’
अदालत ने सीबीआई को याद दिलाया कि कानून के तहत उसका काम एक स्वतंत्र एजेंसी के रूप में केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की अवैधताओं की जांच करना है.
टिप्पणियों के बाद पीठ ने ‘रिपब्लिक ऑफ इंडिया’ शब्दों को हटाते हुए अदालत की रजिस्ट्री द्वारा मामले के कारण-शीर्षक को बदलने का आदेश दिया. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी अदालत के निर्देश से सहमत हुईं.
यह याद दिलाना उचित होगा कि नवंबर 2021 में पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्यों में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने और जांच करने के सीबीआई के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
पश्चिम बंगाल सरकार ने स्वायत्त एजेंसी सीबीआई को मामले में पक्षकार बनाने के बजाय केंद्र सरकार को पक्षकार बनाया था. केंद्र सरकार ने तब कहा था कि सीबीआई जैसी स्वायत्त संस्था द्वारा अपने अधिकार का इस्तेमाल किए जाने में हस्तक्षेप करने की उसके पास शक्ति नहीं है.
हालांकि, हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट से मिली जानकारी से पता चलता है कि ऐसे कई मामले हैं, जहां सीबीआई ने खुद को ‘सीबीआई’ के बजाय ‘रिपब्लिक ऑफ इंडिया’ के रूप में प्रस्तुत किया है.