Nari Shakti Vandan Adhiniyam for women’s reservation: महिला आरक्षण बिल संसद के विशेष सत्र के चौथे दिन राज्यसभा में पारित हो गया. इससे पहले लोकसभा में पारित हो चुका था. स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया है. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही कानून बन जाएगा. इसका नाम होगा- नारी शक्ति वंदन अधिनियम (Nari Shakti Vandan Adhiniyam). इसके लागू होने के बाद महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33% आरक्षण मिलेगा. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संसद में ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ का जिक्र करते हुए कहा कि इसका लक्ष्य संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देना है.
विशेष रूप से, भारत में परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद ही महिला आरक्षण लागू हो सकता है. इसका मतलब यह है कि ये कानून 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले लागू नहीं किया जा सकता है. मौजूदा कानून के अनुसार, अगला परिसीमन जनगणना के बाद ही किया जा सकता है जो 2026 के बाद की जाएगी. इसका सीधा-सा मतलब ये है कि विधेयक को कम से कम 2027 तक लागू नहीं किया जा सकता है।
बात दें, 2002 में संशोधित संविधान का अनुच्छेद 82 कहता है कि परिसीमन प्रक्रिया 2026 के बाद हुई पहली जनगणना के आधार पर की जा सकती है. मूल रूप से, 2026 के बाद पहली जनगणना 2031 में की जानी थी, जिसके बाद परिसीमन किया जाएगा. जनगणना आखिरी बार 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड के कारण इसमें देरी हुई, इसलिए अगली गिनती 2027 में हो सकती है.
1. ‘नारी शक्ति वंदन बिल’ अधिनियम बनने के बाद 15 साल तक लागू रहेगा, लेकिन इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है . महत्वपूर्ण बात ये है कि महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों को प्रत्येक परिसीमन अभ्यास के बाद रोटेट किया जाएगा.
2. लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी और सीधे चुनाव से भरी जाएंगी. साथ ही, आरक्षण राज्यसभा या राज्य विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा.
3. इसमें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करना और कुल सीटों में से एक-तिहाई सामान्य श्रेणी के लिए आरक्षित करना शामिल होगा.
4. अधिनियम के प्रावधान ‘संविधान (128 वां संशोधन) अधिनियम 2023 के शुरू होने के बाद ली गई पहली जनगणना के प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित होने’ के बाद निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन या पुनर्निर्धारण के बाद लागू होंगे.
5. लोकसभा में महिला सदस्यों की संख्या मौजूदा 82 महिला लोकसभा सदस्यों से बढ़कर 181 हो जाएगी यानी कुल 543 लोकसभा सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.
ये विधेयक 2010 में तैयार किए गए महिला आरक्षण विधेयक के समान है जब मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में थी. वर्तमान में, भारत में संसद और विधानमंडलों में महिलाओं की संख्या केवल 14 प्रतिशत है, जो विश्व औसत से बहुत कम है.