मध्यप्रदेश में 50 प्रतिशत महिलाओं, 30 प्रतिशत किशोरों और 50 प्रतिशत किशोरियों को खून की कमी (एनीमिया) है। इसके अलावा प्रदेश में आठ प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं। इनमें करीब एक प्रतिशत गंभीर एनीमिया से पीड़ित हैं। यह जानकारी पिछले सप्ताह स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान द्वारा गर्भवती महिलाओं की जांच और उपचार की समीक्षा के दौरान सामने आई है।
एनीमिया जागरूकता सप्ताह (26 नवंबर से दो दिसंबर) में यह बैठक की गई थी।
प्रदेश में 10 जिले ऐसे हैं जहां 10 प्रतिशत से ज्यादा गर्भवती महिलाओं को कम खतरनाक श्रेणी का (माडरेट) एनीमिया है। सात से 11 ग्राम हीमोग्लोबिन होने पर इस श्रेणी में माना जाता है। सबसे अच्छी स्थिति में इंदौर और शाजापुर हैं जहां सिर्फ 2.7 प्रतिशत महिलाएं ही इस श्रेणी में हैं। इसी तरह से गर्भवती महिलाओं में गंभीर एनीमिया औसत रूप से 0.7 प्रतिशत है। सबसे बुरे हाल आलीराजपुर जिले के हैं जहां 3.60 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को गंभीर एनीमिया है। दूसरे नंबर पर भोपाल में तीन प्रतिशत गर्भवती गंभीर एनीमिया का शिकार हैं। सबसे अच्छा आगर मालवा जिला है, जहां गंभीर एनीमिया 0.10 प्रतिशत को ही है। खून की कमी प्रसूताओं की मौत की बड़ी वजह है। बता दें कि प्रसूताओं की मौत के सर्वाधिक मामले में मध्य प्रदेश (प्रति लाख प्रसव पर 173 की मौत) असम के बाद देश में दूसरे नंबर पर है।
जिला — गंभीर एनीमिया से पीड़ित महिलाओं का प्रतिशत
आलीराजपुर — 3.60
भोपाल — 3.04
सीधी — 1.89
रीवा — 1.51
बड़वानी — 1.42
कटनी — 1.17
पन्ना — 0.85
बुरहानपुर — 0.84
उमरिया — 0.79
भिंड — 0.79
इन जिलों में मध्यम श्रेणी (माडरेट) एनीमिया का प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में ज्यादा
जिला — एनीमिया पीड़ित महिलाओं का प्रतिशत
आलीराजपुर — 25
बड़वानी — 23
श्योपुर — 15
धार — 13
कटनी –12.8
टीकमगढ़ — 12.2
डिंडौरी — 11.4
रतलाम –10.9
दतिया — 10.5
शहडोल — 10.4