नई दिल्ली: मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार (23 अगस्त) को आदेश दिया कि तमिलनाडु के लिए स्थानीय निकाय चुनावों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को मुख्यधारा के समाज में शामिल करने और उनकी लोकतांत्रिक भागीदारी के लिए एक कल्याणकारी उपाय के रूप में आरक्षण प्रदान करने का कदम उठाने का यह सही समय है.
तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के साथ भेदभाव से संबंधित एक याचिका का निपटारा करते हुए जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने अपने आदेश में कहा, ‘तमिलनाडु सरकार को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को मुख्यधारा के समाज में लाने के लिए प्रारंभिक उपाय के रूप में स्थानीय निकाय चुनावों में उन्हें आरक्षण देने के लिए सभी उचित कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है.’
साथ ही न्यायाधीश ने अप्रैल माह में गांव में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के भूमि आवंटन को रद्द करने के लिए एक प्रस्ताव पारित करने पर कुड्डालोर जिला कलेक्टर को तमिलनाडु पंचायत अधिनियम, 1994 लागू कर नैनार्कुप्पम ग्राम पंचायत के अध्यक्ष और सदस्यों को हटाने का भी निर्देश दिया.
याचिकाकर्ता नैनार्कुप्पम ग्राम पंचायत के अध्यक्ष ने ग्रामीणों के साथ मिलकर एक हलफनामा प्रस्तुत किया था कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (ट्रांसमेन या ट्रांसवुमेन) को भूमि का कोई पट्टा नहीं दिया जाएगा, क्योंकि इससे उनके गांव में ‘संस्कृति का विनाश’ होगा.