(खुसुर-फुसुर्)- मप्र के दो प्रमुख राजनैतिक दलों के साथ अजीब विडम्बना है जहाँ मप्र भाजपा के प्रदेश कार्यालय का स्थान मनहूसियत और वास्तुदोष से जुड़ता है वहीं प्रदेश कांग्रेस कार्यालय का प्रथम कक्ष मनहूसियत से भरा हुआ है । समय गवाह है की जिस स्थान पर भाजपा का नया कार्यालय बनाया गया है वहां कार्य कर कोई खुश नहीं रह पाया है , चाहे मप्र राज्य परिवहन से जुड़े लोग हों या मालदार आरटीओ के मालदार लोग। वहीं कांग्रेस कार्यालय के पिछले प्रवेश द्वार के सामने का प्रथम कक्ष जिसमें वर्तमान में सभी मोर्चों की प्रभारी शोभा ओझा का कार्यालय है इस कक्ष में बैठ किसी की राजनीति परवान न चढ़ सकी , अपने पूर्व कार्यकाल में शोभा ओझा उसके सामने के कमरे में बैठतीं थी ,लेकिन इस दफ़े उस कमरे में केके मिश्रा जी का कार्यालय है,अब देखना है अनुभवी नेत्री शोभा ओझा का यह कार्यकाल क्या इस मिथक को तोड़ पाता है या कक्ष के बारे में प्रचलित मान्यताएँ शोभा ओझा की राजनीति पर ग्रहण लगा देगी? यह तो समय ही बताएगा। सबसे अधिक चिंता का विषय तो भाजपा के लिए है वहां पूरी पार्टी का भविष्य दांव पर लगा है अब क्या इस भवन के बारे मे प्रचलित बातें सत्य होती हैँ या भाजपा का भाग्य इस मिथक को बदल देगा…..समय का इंतजार कीजिये।
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